
लॉकडाउन में चारे बिना बिलबिला रहे बेजुबांन जानवर






बीकानेर। 21 दिनों के लॉक डाउन के कारण जहां आम जनजीवन प्रभावित नजर आ रहा है वहीं पशुओं के चारे की भी किल्लत हो गई है। शहर में दुधारू पशु पालने के शौकीनों की संख्या कम नहीं है। बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घर में ही दुधारू गाय का पालन किया है जिससे दूध उत्पादन भी होता है और घर में भी परिवार के लोग दूध का उपयोग करते हैं। ऐसी स्थिति में यहां के पशुपालकों को भूसा और अन्य पशु आहार को लेकर चिंता सताने लगी है। कई पशुपालक घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और जहां-जहां उन्हें गेहूं का भूसा और पशु आहार मिलता है उन सभी दुक ानों को बंद करा दिया गया है। हालांकि राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर पशु आहार और पशु सहित कृषि से संबंधित सामानों के लिए परिवहन व बिक्री में छूट दी है। बावजूद इसके शहर में दर्जन भर भूसा व पशु आहार बिक्री केंद्रों में ताला लटका हुआ है। इसको लेकर भी प्रशासन को गंभीरता दिखाने की जरूरत है अन्यथा शहर में सैकड़ों की संख्या में दुधारू पशुओं को स्वस्थ रख पाना पशुपालकों के लिए मुश्किल हो जाएगा ।
पशुआहार का भी संकट.
.पशुओं को चारा उपलब्ध नहीं होने के साथ ही पशुआहार का संकट खड़ा हो गया है। प्रशासन ने सिर्फ किराणा, दूध डेयरी व सब्जियों की दुकानें को खोलने की अनुमति दी है। पशुआहार की दुकानें बंद होने से दूधारू पशुओं के दूध उत्पादन में बड़ा फर्क पड़ सकता है।
डर से नहीं खोल रहे दुकान
शहर में भूसा बिक्री करने वाले दर्जनों लोग हैं पर कोरोना वायरस के लिए शहर के लॉक आउट के क ारण भय से अपनी दुकान नहीं खोल रहे हैं। ऐसे में एक दो गाय रखने वाले पशुपालक भी भूखे को लेकर परेशान हो रहे हैं। भूसे की दुकान के साथ पशु आहार की दुकानें भी बंद पड़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों से हरा चारा भी यह पशुपालक ले आते थे किंतु घर से निकलने पर ही पाबंदी लग गई है ऐसे में हरा चारा भी नहीं मिल पा रहा है।
क्या कहते हैं पशुपालक
उधर पशुपालकों का कहना है कि एक सप्ताह पूर्व ही शहर में भूसे की किल्लत थी क्योंकि यह सरगुजा का ऑफ सीजन है। ऐसे में अब लॉक डाउन के कारण भूसे की आवक कम हो गई है। पशुओं को चारा उपलब्ध कराना इस समय काफी चुनौतीपूर्ण है। भूसा परिवहन बंद हो जाने के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हो रही है। दोनों पशुपालकों ने प्रशासन से भूसा परिवहन और पशु आहार केंद्रों को खुलवाने का आग्रह किया है।
सरकारी स्तर खुले चारा डिपो…
मवेशियों के लिए चारे के गंभीर संकट को देखते हुए राज्य सरकार को पशुधन को बचाने के लिए रियायती दर पर चारा डिपो को खोलने चाहिए। प्रशासन के स्तर पर अभी चारा डिपो खोलने की कोई तैयारी नहीं है। सरकार को इस ओर भी गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।
कालाबाजारी की संभावना...
चारे के ट्रकों निजी टालों पर नहीं आने से चारा की कालाबाजारी की संभावना है। इस समय जौ व गेहूं की फसल की कटाई के बाद मशीन से गेहूं व चारा निकाला जाता है। चारा नहीं मिलने के कारण चारा की कालाबाजारी हो सकती है। सरकार एवं प्रशासन को समय रहते रियायती दर चारा डिपो खोलने चाहिए।
सेवादार तैयार,पुलिस का भय
हालात ये है कि आवारा पशुओं व अन्य पशुपालकों के लिये अनेक सेवादार चारे की सेवा करने के लिये तैयार है। किन्तु पुलिस के डर से वे आगे नहीं आ रहे है। सेवादार सर्वोदय बस्ती निवासी ओमप्रकाश ने खुलासा को बताया कि अगर प्रशासन हमें अनुमति दे तो वे बेजुबान पशुओं के लिये चारे की व्यवस्था करने को तैयार है। उन्होनें बताया कि सरकार की ओर से अनुमति के बाद चारा लाने ले जाने के लिये पशुपालकों को पुलिस परेशान कर रही है।


