संत और सती का सामथ्र्य असीम होता है- कथावाचक श्यामसुंदर महाराज

संत और सती का सामथ्र्य असीम होता है- कथावाचक श्यामसुंदर महाराज

खुलासा न्यूज, बीकानेर। भीनासर स्थित श्री पूर्णेश्वर महादेव मंदिर, सेठ बंशीलाल राठी की बगेची में महायोगी अवधूत संत पूर्णानन्द महाराज की 58 वीं पुण्यतिथि पर चल रही पद्म पुराण कथा का शनिवार को तीसरा दिन रहा। जहां कथावाचक श्यामसुंदर महाराज ने कहा कि संत और सती का सामथ्र्य असीम होता है। वृन्दा (तुलसी) की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि जलन्धर उसका पति था, लेकिन वह दुष्ट था। उसने भगवान पर ही हमला कर दिया था। भगवान विष्णु ने उसके अस्तित्व को मिटाने के लिए वृन्दा के सतीत्व को समाप्त करने का प्रयास किया। तुलसी पतिव्रता नारी थी, भगवान ने जब उसे छल से आलिंगन किया तब उसे इसका भान हुआ और उसने भगवान को ही श्राप दे दिया। लेकिन बाद में भगवान को श्राप मुक्त भी किया। इसके बाद भगवान विष्णु ने उनके त्याग और तप की महिमा को जानकर यह वरदान दिया कि जब भी भगवान विष्णु की पूजा होगी उससे पहले तुलसी का पूजन किया जाएगा। महाराज ने गौमाता की महिमा का बखान करते हुए कहा कि जो व्यक्ति गोचर के लिए भूमि का दान करता है, वह जिंदगी में कभी नीचे नहीे देखता और जो गाय की भूमि को हड़पता है उसकी 21 पीढिय़ां नरक को भोगती है। वहीं महाराज जी ने पीपल के पौधे को लगाने का बड़ा महात्मय बताया।

आयोजन से जुड़े लालचन्द गहलोत ने बताया कि शनिवार को आयोजनकर्ता गौरीशंकर सारड़ा के सानिध्य में नित्य पूजा के साथ भजनों की सरिता बही और यज्ञशाला में पार्षद नन्दू गहलोत ने सपत्नीक यज्ञ में आहूति दी। रात्रि में सुन्दरकाण्ड के पाठ का आयोजन किया गया। कथा के तीसरे दिन महिलाओं एवं पुरुषों की भारी भीड़ रही। कथा विश्राम के पश्चात भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया।

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