किसानों के लिए बड़ी खबर: मिलेगी यूनिक पहचान

किसानों के लिए बड़ी खबर: मिलेगी यूनिक पहचान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार किसानों के लिए यूनिक फार्मर आईडी यानी पहचान पत्र बनाने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम और अन्य योजनाओं के डेटा को राज्यों की ओर से बनाए जा रहे भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस से जोडऩे की योजना है। इस डेटाबेस के आधार पर किसानों का विशिष्‍ट किसान पहचान पत्र बनेगा। क्या है सरकार की योजना. जानकारी के मुताबिक मंत्रालय इस दिशा में काम कर रहा था लेकिन कोरोना वायरस के कारण यह काम फिलहाल आगे नहीं बढ़ पाया क्योंकि अभी केंद्र सरकार का ध्यान कोरोना वायरस जैसी महामारी से लडऩे में लगा हुआ है लेकिन इस समस्या के समाप्त होते ही सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी। इस योजना को अमली जामा पहनाए जाने से किसानों को उनकी पहचान मिलेगी और पहचान पत्र बनने के बाद उन तक खेती किसानी से जुड़ी योजनाओं को पहुंचाना आसान हो जाएगा। मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार राज्यों के परामर्श से एक संयुक्त किसान डेटाबेस बनाने की प्रक्रिया में है। पहले चरण में पीएम किसान योजना के तहत रजिस्टर्ड करीब 10 करोड़ किसानों को इसमें कवर किया जाना है।कौन कहलाता है किसान राष्ट्रीय किसान नीति.2007 के अनुसार किसान शब्द का मतलब उगाई गई फसलों की आर्थिक या आजीविका क्रियाकलाप में सक्रिय रूप से शामिल व्यक्ति तथा अन्य प्राथमिक कृषि उत्पादों को उगाने वाले व्यक्ति से है। इसमें काश्तकार, कृषि श्रमिक, बटाईदार, पट्टेदार, मुर्गीपालक, पशुपालक, मछुआरे, मधुमक्खी पालक, माली, चरवाहे आते हैं। रेशम के कीड़ों का पालन करने वाले, वर्मीकल्चर तथा कृषि.वानिकी जैसे विभिन्न कृषि.संबंधी व्यवसायों से जुड़े व्यक्ति भी किसान हैं। आपको बता दें कि वर्तमान में देश में 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं, जिनमें से 12 करोड़ लघु और सीमांत किसान हैं। यानी जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम खेती है। तकनीकी तौर पर किसान कहलाने के लिए सरकारी पैमाना है। इस पैरामीटर पर खरे उतरने वाले ही खेती.किसानी से जुड़ी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। रेवेन्यू डेटा हुआ डिजिटल देश में 6 लाख 55 हजार 959 गांव हैं। बीती 4 फरवरी तक इनमें से 5 लाख 91 हजार 421 गांवों के रेवेन्यू रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन या कहें कि कंप्यूटरीकरण हो गया है। भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस का कंप्यूटरीकरण होने के बाद किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने वालों का वेरीफिकेशन आसान हो जाएगा। आपको बता दें केंद्र सरकार के पास करीब 10 करोड़ किसान परिवारों का आधार, बैंक अकाउंट नंबर और उनके रेवेन्यू रिकॉर्ड की जानकारी प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि के तहत एकत्र हो चुकी है। इस डेटाबेस को मिलाकर यदि पहचान पत्र बनाने की कल्पना यदि साकार होती है तो किसानों का काम काफी आसान हो जाएगा।

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