
प्रदेश में हिंसक हो रहे कुत्तों पर सरकार ने जारी की गाइडलाइन, पालतू कुत्तों का करना होगा वैक्नेश्सन






जयपुर। राजस्थान में आवारा श्वानों (कुत्तों) का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले तीन महीने में जयपुर में कुत्तों ने 2000 लोगों को काटकर अस्पताल पहुंचा दिया। इसके बाद अब स्वायत शासन विभाग (ष्ठरुक्च) ने हिंसक और आक्रामक प्रवृत्ति के कुत्तों को पकडक़र शहर से दूर छोडऩे की गाइडलाइन जारी की है।
स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक सुरेश कुमार ओला ने बताया- पिछले कुछ वक्त में राजस्थान भर में श्वानों द्वारा आम जनता पर हमले किए गए थे। इसको ध्यान में रखते हुए यह गाइडलाइन जारी की गई है। ताकि आम जनता को सुरक्षित रखने के साथ ही श्वानों को भी स्वस्थ और सुरक्षित रखा जा सके।
बता दें कि प्रदेशभर में लगभग 10 लाख से ज्यादा श्वान है। अकेले जयपुर में कुत्तों का आंकड़ा 50 हजार से ज्यादा है। इसके बाद लगातार आम जनता पर हो रहे हिंसक घटनाक्रम को ध्यान में रखकर अब स्वायत्त शासन विभाग ने यह 6 सूत्री गाइडलाइन जारी की है।
स्वायत शासन विभाग द्वारा जारी की गई गाइडलाइन
राजस्थान के सभी निकायों में स्थित महाविद्यालयों (कॉलेज), विद्यालयों (स्कूल), अभिभावकों, नागरिकों से शिकायत मिलने पर हिंसक और आक्रामक प्रवृत्ति के श्वानों (कुत्तों) को शहर से दूर ले जाकर छोड़ा जाए।
हिंसक और आक्रामक प्रवृत्ति के श्वानों (कुत्तों) को चिह्नित कर वैक्सीनेशन की जाए।
सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों के लेबर रूम, गायनिक रूम, ऑपरेशन थियेटर, शिशु वार्ड के आस-पास रहने वाले श्वानों (कुत्तों) को चिकित्सा विभाग की शिकायत पर तत्काल पकडक़र शहरों से दूर छोड़ा जाए।
प्रदेशभर में पालतू श्वानों (कुत्तों) को चिह्नित कर उनके मालिकों को वैक्सीनेशन के लिए पांबद किया जाए।
आवारा श्वानों (कुत्तों) के संबंध में गैर सरकारी संगठनों के साथ समन्वय स्थापित कर एनिमल बर्थ कन्ट्रोल (एबीसी) प्रोग्राम को बढ़ावा दिया जाए।
आवारा श्वानों (कुत्तों) को पकडक़र किसी एक स्थान पर रखे जाने के संबंध में गैर सरकारी संगठनों के साथ समन्वय स्थापित कर आवश्यक कार्यवाही की जाए।
पशु चिकित्सक नगर निगम हरेंद्र सिंह ने बताया कि एबीसी नियम 2001 के तहत अभी तक कुत्तों का वैक्सीनेशन किया जाता था। लेकिन उन्हें शहर से बाहर छोडऩे का प्रावधान नहीं था। जयपुर नगर निगम द्वारा पिछले 5 सालों में लगभग 40000 कुत्तों का वैक्सीनेशन किया जा चुका है। जिन्हें वैक्सीनेशन के बाद फिर से उसी स्थान पर छोड़ा गया है। जहां से उन्हें उठाया गया था। इस वैक्सीनेशन का टाइम 3 साल का होता है। सूत्रों के अनुसार अभी 80 हजार ऐसे कुत्ते हैं जिनका वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
चित्तौडग़ढ़ में स्कूल जा रहे बच्चे को कुत्तों ने नोच-नोचकर मार डाला था
चित्तौडग़ढ़ के बेगूं स्थित पारसोली गांव निवासी भेरूलाल खटीक का पुत्र आयुष (6) नर्सरी क्लास में पढ़ता था। 18 मार्च को सुबह 7 बजे ट्यूशन पढऩे गया था। ट्यूशन पढऩे के बाद 8 बजे वह गांव में ही स्थित निजी स्कूल में अकेले ही पढऩे जा रहा था। स्कूल के रास्ते में नदी का किनारा आता है। सूखी नदी के किनारे मृत मवेशियों पर कुत्ते मंडरा रहे थे। कुत्तों के झुंड ने बच्चे पर हमला कर दिया था। कुत्तों ने मासूम को करीब 20 जगह काटा था। आयुष की सांस की नली पर काट लिया। जिससे उसकी सांस नली अवरुद्ध हो गई और उसकी मौत हो गई थी।
अलवर में भी बच्ची की मौत हुई
10 मार्च को अलवर के बानसूर में बाजार जा रही 9 साल की मासूम को 8-10 कुत्तों ने घेरकर करीब 40 जगह नोच डाला। इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई थी. बच्ची के पिता अशोक कुमावत ने बताया था कि शाम 4 बजे मेरी बेटी मोनिका (9) श्यामपुरा गांव के बाजार में सामान लेने जा रही थी। हमारी ढाणी से गांव 500 मीटर की दूरी पर है। मोनिका आधे रास्ते में ही पहुंची थी कि 8-10 आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया था। वो सुनसान जगह थी। कुत्तों ने बच्ची को जमीन पर गिरा दिया था उस पर टूट पड़े थे। कुत्तों ने उसे जगह-जगह से काट लिया था। बानसूर उप जिला अस्पताल ले गए थे। डॉक्टर ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया था।


