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मेयर आयुक्त झगड़ते रहे शहर में बढ़ते रहे आवारा पशु, देखे वीडियों

आवारा पशुओं से आखिर कब मिलेगी निजात, देखे वीडियों
बीकानेर(शिव भादाणी) शहर में आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या लोगों के लिए सिरदर्द और जान को खतरा बन रही है। मैन रोड ही नहीं बल्कि हर गली मोहल्ले में आवारा पशुओं का आतंक है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है। ऐसे में कभी किसी के साथ हादसा हुआ तो फिर जिम्मेदारों का जवाब देना भारी पड़ेगा। हालांकि जान की कोई कीमत नहीं होती है लेकिन हादसे पर मुआवजा राशि जिम्मेदार अधिकारियों की जेब से दिलाई जाए तो उनकी आंखें खुल सकती हैं। शहर में सबसे ज्यादा आवारा कुत्ते हैं। इसके बाद गायों का नंबर आता है। शहर में कुछ लोगों ने गाय पाल रखी हैं, लेकिन अधिकांश लोग दूध निकालने के बाद गायों को डंडा मारकर सडक़ पर इधर-उधर चारे के लिए मुंह मारने को छोड़ देते हैं। सडक़ और सार्वजनिक स्थलों पर मंडराते आवारा पशु लोगों की जान के लिए खतरा बन गए हैं। सब्जी मंडी, बड़ा बाजार घूमचक्कर, तुलसी सर्किल में सांडों का आतंक इस कदर है कि लोग सब्जी खरीदने के लिए आने से कतरा रहे हैं। इसी प्रकार गली मोहल्लों में भी आवारा पशुओं का जमावड़ा रहता है। आवारा पशु झुंड में रहते हैं जो किसी पर अटैक करें तो बचना मुश्किल है।इधर लोगों का कहना है कि शहर में बढ़ते आवारा पशु लोगों की जान के लिए बड़ा खतरा है। आवारा पशुओं को पकडकऱ गोशाला या जंगल में छोडऩे की ड्यूटी नगर निगम की है लेकिन नगर निगम की लापरवाही से शहर में आवारा जानवर दिन पे दिन बढ़ रहे हैं। शहर की ऐसी कोई गली, चौक-चौराहा नहीं जहां आवारा पशु नहीं हो। आवारा सांडों की लड़ाई में आमजन चोटिल हो रहा है। सांडों की लड़ाई इतनी खतरनाक होती है कि ये छुड़ाने पर भी छुटते। जिसकी वजह से कई बार जाम लग जाता है। सांडों की लड़ाई में आमजन को भारी नुकसान हो रहा है। कई दफा इनकी लड़ाई में दुपहिया वाहन चालक चपेट में आ जाता है, जो चोटिल होकर घर जाने की बजाय सीधे अस्पताल पहुंचता है। अभी शहर में सावे का सीजन है। बड़ी संख्या में शादियां है, ऐसे में लोग अधिकांश समय बाजार में खरीददारी करने में व्यस्त है। लेकिन जगह-जगह खड़े आवारा पशुओं के कारण काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। एक जानकारी के अनुसार एक दिन में एक दर्जन से अधिक लोग आवारा पशुओं की वजह से चोटिल होकर अस्पतालों में पहुंच रहे है, लेकिन निगम इस ओर ध्यान नहीं दे रहा, महज बड़े-बड़े दावे किये जा रहे है। धरातल में काम नहीं हो रहा। लोगों का कहना है कि आवारा पशुओं की पकडऩे वाली गाड़ी को देखे लंबा समय हो गया। ऐसे में सवाल उठता है कि इन आवारा पशुओं से आखिर निजात कौन दिलाएगा?

 

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