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गोबर से इस तरह बनाई जा रहीं है ईट, बन रहे मंदिर और कमरे, न तो पिघलती और न ही जलती

आमतौर पर आपने मिट्टी और बालू से ईंटे बनती हुई देखी होगी, लेकिन कभी आपने गोबर से बनी ईंट बनते देखी है. अगर नहीं देखी तो आज हम आपको गोबर से बनी ईंट दिखा रहे हैं. गोबर से बनी ईंट से आज लोग मंदिर और छोटे कमरे बना रहे हैं. यह गोबर से बनी ईंट बीकानेर के महेंद्र कुमार जोशी बना रहे हैं. जो अब तक हजारों ईंटें बना चुके हैं.

महेंद्र जोशी ने बताया कि करीब तीन साल पहले गोबर पर काम करना शुरू किया फिर किताबों में पढ़ा की गाय के गोबर में बहुत ज्यादा ऑक्सीजन है. कोरोना में ऑक्सीजन की बहुत कमी हो गई थी. गाय के गोबर में ऑक्सीजन बहुत ज्यादा होने पर गोबर से बहुत चीजें तैयार की जाने लगी. ऐसे में फिर गोबर की ईंट बनाने का काम शुरू किया. रोजाना एक व्यक्ति 250 से 300 ईंट बना सकते है. यह गोबर की ईंट आध्यात्मिक रूप यानी पूजा पाठ में उपयोग आने वाली ईंट 11 रुपए में पड़ती है. वहीं गोबर और चूने से बनी ईंट 16 रुपए की पड़ती है.

वे बताते है कि उनके पास से कई लोग रोजाना लेकर जाते है. अब मकानों के मुहूर्त में नींव पूजन के दौरान गोबर की ईंट लेकर जा रहे हैं. बीकानेर के आस पास किलचू गांव में इसी से मंदिर बनाया और योग साधना के लिए छोटा कमरा बनाया गया है.

900 ग्राम से 1 किलो तक होता है वजन
यहां गोबर से दो तरह की ईंट बनती हैं. एक तो शुद्ध गोबर से ईंटें बनाई जा रही हैं. जो अध्यात्म में काम आती हैं. इन ईंट को पूजा पाठ में काम में लिया जाता है. घरों की नींव पूजन हो या मंदिर बनाना हो तो गाय के शुद्ध गोबर से यह ईंटें बनाई जाती है. इस ईंट 600 से 700 ग्राम की बनती है. इसके अलावा दूसरा ईंट है कि गोबर से महल या मंदिर बनाना चाहे तो इसमें 10 प्रतिशत पीओपी, 10 मीठा चूना तथा गोबर मिलाया जाता है. इस ईंट का वजन एक किलो 900 ग्राम या दो किलो भी हो जाता है. ऐसे में यह न तो जलता है और न ही गलता है. बारिश आने पर यह पिघलेगा भी नहीं.

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