
पति के घर में पत्नी के अधिकारों पर होगा व्याख्याना 11 को







बीकानेर। पति के घर में पत्नी के अधिकारों पर क्या कहता है कानून? अनामिका महिला अस्तित्व जागृति फाउंडेशनज् द्वारा सेठ बीजेएस रामपुरिया जैन लॉ कॉलेजज् के सौजन्य से व्याख्यान व परिचर्चा का आयोजन 11 फरवरी 2024 रविवार को किया जाएगा. फाउंडेशन की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. मंजु गुप्ता कच्छावा ने लॉ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनंत जोशी से चर्चा कर आग्रह पत्र सौंपा जिसे प्राचार्य ने सहमति प्रदान की. इस अवसर पर फाउंडेशन की ओर से सुश्री शशि गुप्ता, सदस्य! सुश्री सुरभि अग्रवाल, कार्याध्यक्ष! सुश्री अंजली मित्तल, सदस्य! सुश्री संगम रोहिल्ला, सचिव सुश्री ललिता कालरा, कोषाध्यक्ष! सुश्री अनु सुथार, कोषाध्यक्ष! डॉ. सुश्री मंजु गुप्ता कच्छावा, प्रबंध निदेशक/अध्यक्ष सुश्री नीलम बंसल, उपसचिव! सुश्री सीमा खतूरिया, सचिव! सुश्री बसंती सोनी, सदस्य! सुश्री राशि बिहानी, सदस्य उपस्थित रहीं! संस्था की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. मंजु गुप्ता कछावा ने जानकारी देते हुए बताया कि जैसा कि संस्था के नाम से ही विदित है, अनामिका महिला अस्तित्व जागृति फाउंडेशन महिलाओं में उनके अधिकारों के प्रति जागृति के कार्य हेतु समर्पित स्वयंसेवी संस्था है. इसमें विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित महिला विशेषज्ञों को मानद अतिथि के तौर पर आमन्त्रित कर उनके व्याख्यान आयोजित कर उस विषय की जानकारी महिलाओं को उपलब्ध हो सके, साथ ही महिलायें उस विषय से संबंधित अपनी शंकाओं व प्रश्नों के समाधान खोज सकें, फाउंडेशन द्वारा ऐसे पैनल डिस्कशन व परिचर्चाएं आयोजित करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
वस्तु का विवरण कुछ इस प्रकार है कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने दूसरे कार्यकाल के प्रारंभ में ही उन महिलाओं को इस डर से मुक्ति दिला दी है जिन्हें तलाक तलाक तलाक कहकर घर से निकाल दिए जाने का डर बना रहता था और इस डर से उनका अवांछित शोषण होता था! किन्तु उन महिलाओं का क्या? जिन्हें यह अकसर ही पति द्वारा या पति के परिवार द्वारा धमकी दी जाती है कि जो कहा है वो कर जैसी हम तुझे रखना चाहते हैं वैसी रह वर्ना हमारे घर से निकल जा या ये कि तुझे घर से निकाल देंगे! .. इस बारे में क्या कहता है कानून? पत्नी के घर / मकान में क्या अधिकार हैं? ग्रहणी के क्या अधिकार हैं और वर्किंग वाइफ के क्या अधिकार हैं? प्रचलन में वर्किंग वाइफ की कमाई भी पति की ही मानी जाती है और पत्नी की कमाई लगाकर भी बने मकान का पति ही मालिक माना जाता है उसमें पत्नी का संयुक्त-स्वामित्व रजिस्टर नहीं किया जाता जबकि मकान बनाने में पत्नी की भी कमाई लगी होती है, इत्यादि. अत: जिन महिलाओं के साथ ऐसा हो रहा है उनके लिए कानून में क्या प्रावधान हैं? तथा महिलायें ऐसी स्थिति में क्या करें?
इस बारे में जनजागृति करना आवश्यक है ताकि जिस प्रकार तलाक तलाक तलाक का डर खत्म हुआ वैसे ही ‘तुझे घर से निकाल देंगे वाला डर भी खत्म हो तथा पत्नी भी मात्र नाम की ही घरमालकिन न रहे बल्कि कानूनत: भी वह घरमालकिन के तौर पर रजिस्टर की जाए. अत: हमने विचार किया है कि इस विषय पर विशेषज्ञ कानूनविदों द्वारा व्याख्यान / पैनल डिस्कशन का आयोजन किया जाए ताकि वर्तमान कानूनों में च्मेट्रीमोनियल होमज् में पत्नी के क्या अधिकार हैं तथा यदि कानून में किसी सुधार अथवा नए कानून की आवश्यकता हो तो संस्था महिलाओं में जनजागृति-जनमत बनाने व सरकार से सकारात्मक सहयोग करके लोकतान्त्रिक पद्धति से आवश्यक कानून बनाने हेतु आग्रह कर सके. व्याख्यान व परिचर्चा के वीडियोज बनाकर विभिन्न सोशल मीडिया के माध्यम से तथा फ़ेसबुक-लाइव व यूट्यूब-लाइव के माध्यम से अधिक से अधिक महिलाओं की जानकारी हेतु प्रसारित किए जायेंगे.


