राजस्थान के नवनिर्वाचित विधायकों को राजस्थानी भाषा में शपथ लेने से क्यों रोका गया, क्या कहता है संविधान

राजस्थान के नवनिर्वाचित विधायकों को राजस्थानी भाषा में शपथ लेने से क्यों रोका गया, क्या कहता है संविधान

राजस्थान विधानसभा के 16वें सत्र का आगाज हो गया है, लेकिन आगाज हंगामा के साथ हुआ, राजस्थान विधानसभा में चुने गए दो युवा विधायकों ने मायड़ भाषा यानी राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की कोशिश की, लेकिन इस पर उन्हें प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ द्वारा रोक दिया गया.

दरअसल कोलायत से युवा विधायक अंशुमन भाटी और शिव विधायक रविंद्र भाटी ने राजस्थानी भाषा में शपथ लेनी शुरू कर दी, लेकिन उन्हें नियम का हवाला देते हुए प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ ने रोक दिया. दोनों ही विधायकों ने राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की मांग रखी, लेकिन 8वीं अनुसूची में राजस्थानी भाषा शामिल ना होने का हवाला देते हुए हिंदी, अंग्रेजी या संस्कृत में शपथ लेने के लिए कहा.

इसके बाद रविंद्र भाटी और अंशुमन भाटी ने हिंदी में फिर से शपथ ली. साथ ही कई अन्य विधायकों ने भी राजस्थानी भाषा में शपथ लेने का अनुरोध किया, लेकिन प्रोटेम स्पीकर की ओर से इस अनुरोध को खारिज कर दिया गया. इसके बाद विधायकों ने हिंदी या संस्कृत में ही शपथ लिया.

संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हैं 22 भाषाएं

असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी.

वहीं पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित सभी कांग्रेस विधायक काली पट्‌टी बांधकर सदन में पहुंचे. कांग्रेस विधायक संसद में हुए हमले का विधायक कर रहे हैं,

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