
कोलायत में त्रिकोणीय हुआ मुकाबला, आमसभा के बाद बढ़ी धड़कन






कोलायत में त्रिकोणीय हुआ मुकाबला, आमसभा के बाद बढ़ी धड़कन
बीकानेर। घड़ी में शाम के 6 बजने के साथ ही राजस्थान में चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। इस दौरान प्रत्याशियों की ओर से न ही रैली की जा सकेगी और न ही जनसभा का आयोजन हो सकेगा। लेकिन इससे पहले प्रत्याशियों की ओर से रैली, रोड शो और जनसभाएं कर अपना दमखम दिखाया जा रहा है। बुधवार की बात की जाए तो बीकानेर जिले में बड़ी सभा का आयोजन कोलायत में किया गया। इस दौरान आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल और भीम आर्मी के चंद्रशेखर आज़ाद रावण मौजूद थे। इस आम सभा में जिस तरीके की भीड़ और उत्साह दिखाई दिया उसे एक तस्वीर साफ होती नजर आ रही है कि कहीं ना कहीं यह मुकाबला अब रोचक मोड़ पर पहुंच गया है। इस सभा के बाद भाजपा के प्रत्याशी अंशुमान सिंह भाटी हो या फिर कांग्रेस के प्रत्याशी भंवर सिंह भाटी हो दोनों के ही होश उड़ गए हैं। क्योंकि शायद किसी अन्य प्रत्याशी का कोलायत में ऐसा पहली बार जन समर्थन मिला है। यह तो आने वाली 25 तारीख तय करेगी की वोट किसकी थाली में जाएंगे। लेकिन इस रैली के बाद कोलायत के लिए कुछ भी कहना संभव नहीं है। अगर मुकाबले की बात की जाए तो यहां त्रिकोणीय संघर्ष है। यहां पर कांग्रेस के भंवर सिंह भाटी अपने विकास के दम पर चुनाव लड़ रहे हैं वह हर जगह अपने किए हुए काम गिनवा रहे हैं और उसी के आधार पर जनता के बीच में जाकर वोट मांग रहे हैं और लगातार एक ही बात कह रहे हैं कि अगर आपको कोलायत का विकास चाहिए तो भंवर सिंह भाटी को वोट देकर दोबारा विधानसभा भेजें। तो वही युवा नेता भाजपा प्रत्याशी अंशुमान सिंह भाटी भी लोगों में काफी लोकप्रिय नजर आ रहे हैं। अंशुमान सिंह भाटी पूर्व सांसद महेंद्र सिंह भाटी के पुत्र भी हैं तो कोलायत की जनता के बीच में भाटी काफी लोकप्रिय भी नजर आ रहे है। लोग कहीं ना कहीं महेंद्र सिंह भाटी की छवि उनमें देख रहे हैं, हालांकि जिस तरीके से वह जनता से और लोगों से रूबरू हो रहे हैं और संवाद कर रहे हैं तो बिल्कुल वह एक मंझे हुए नेता की तरह नजर आ रहे। कहीं भी लग नहीं रहा कि वह पहली बार इस मैदान में चुनाव लड़ रहे हैं। अब बात करें आरएलपी प्रत्याशी रेवंतराम पंवार की तो वह दो बार नोखा से विधायक रह चुके हैं तो वहीं इस बार कोलायत से चुनाव लड़ रहे हैं। पंवार की बात करें तो उनके पास जातीय समीकरण एक सबसे बड़ा मुद्दा है। क्योंकि कोलायत में सबसे ज्यादा एससी वोटर है और साथ ही बेनीवाल के वजह से जाट वोट भी मिलते नजर आ रहे है। अब यह तो 3 दिसंबर को ही तय होगा कि कोलायत की राजनीति किस और करवट लेगी। लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा की कल हुई आम सभा के बाद सब की नींद उड़ गई है।

