
एक बयान इतना बवाल? कल जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर के कोर्ट में कामकाज बंद, कोटा में भी विरोध






कोटा-उदयपुर मांग रहे बैंच, इसलिए बहिष्कार :
इसके विरोध में कोटा में प्रदर्शन हो गया। उदयपुर के अधिवक्ता सोमवार को कार्यबहिष्कार कर रहे हैं। इन दोनों जगह के वकीलों का तर्क है कि हमारे शहरों में हाईकोर्ट बैंच की जरूरत ज्यादा है और मांग भी पुरानी है। इसलिए यहां हाईकोर्ट की बैंच स्थापित हो। कोटा में जहां एक दिन पहले कोर्ट परिसर से कलेक्ट्रेट चौराहे तक प्रदर्शन भी हुआ। वहां अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष प्रमोद शर्मा, महासचिव गोपाल चौबे आदि ने कोर्ट बैंच पर पहला हक कोटा का बताया। बोले, हम सालों से आंदोलन कर रहे हैं। पहला हक हमारा है। हम आंदोलन तेज करेंगे।
इसी तरह बार एसोसिएशन उदयपुर के अध्यक्ष राकेश मोगरा ने भी बयान जारी कर 21 अगस्त को कार्यबहिष्कार की घोषणा की। एडवोकेट मोगरा का कहना है, अर्जुनराम मेघवाल का यह बयान मेवाड़-वागड़ क्षेत्र की जनता के हितों के साथ कुठाराघात है।
जोधपुर में विरोध के तर्क दूसरे हैं :
राजस्थान हाईकोर्ट लायर्स एसोसिएशन और हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन जोधपुर ने भी मेघवाल के इस बयान का विरोध किया है। जोधपुर के अधिवक्ताओं का तर्क अलग है। उनका कहना है, उच्च न्यायालय मुख्यपीठ के गौरव और प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण रखने के लिए समस्त न्यायलयों में 21 अगस्त को व्यक्तिशः और वर्चुअल उपस्थिति नहीं देंगे। मतलब यह कि जोधपुर के अलावा अन्य कहीं हाईकोर्ट की बैंच नहीं खुलनी चाहिए।
कितनी पुरानी मांग: एक तर्क यह भी :
दरअसल मेघवाल के बयान के बाद उदयपुर, कोटा आदि संभाग मुख्यालयों से यह तर्क दिए जा रहे हैं कि उनकी मांग ज्यादा पुरानी है। वे आंदोलन भी सालों से कर रहे हैं। इससे इतर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बिहारीसिंह राठौड़ का कहना है, 14 साल से लगातार आंदोलन चल रहा है। उससे भी बड़ी बात यह है कि बीकानेर में पहले से 1945 तक हाईकोर्ट था। यहां से यह हाईकोर्ट शिफ्ट हो गया। ऐसे में इसे वापस लाने की हमारी मांग लगभग 78 साल पुरानी है। हमें तो उस कोर्ट की एक बैंच ही तो मिल रही है जो हमसे छीना गया है। हम भारत सरकार के निर्णय और विधि मंत्री के बयान का स्वागत और समर्थन करते हैं।


