खाजूवाला व छत्तरगढ़ को अनूपगढ़ में शामिल करने को लेकर लोग उतरे आंदोलन में

खाजूवाला व छत्तरगढ़ को अनूपगढ़ में शामिल करने को लेकर लोग उतरे आंदोलन में

बीकानेर । खाजूवाला और छत्तरगढ़ को अनूपगढ़ जिले में शामिल करने के बाद से खाजूवाला में बवाल मचा हुआ है। पूगल और दंतौर के बीकानेर में रह जाने से अब खाजूवाला के उपखंड मुख्यालय बने रहने पर संशय है। सरकार ने अभी तक यह क्लियर नहीं किया है कि खाजूवाला उपखंड रहेगा या नहीं। सीओ सर्किल खत्म हो गया है।
मंगलवार को दिनभर धरना, प्रदर्शन, जुलूस, चक्का जाम रहा। व्यापारियों ने दूसरे दिन भी दवाओं की दुकान समेत पूरा बाजार बंद रखा। खाजूवाला और छत्तरगढ़ को अनूपगढ़ जिले में शामिल करने के बाद से आंदोलित हैं नागरिक। चक्काजाम के बाद एसडीएम दफ्तर के आगे धरना लगाया गया। एसडीएम दफ्तर के आगे भीड़ और बढ़ गई है। आसपास के गांवों के लोग भी पहुंचने शुरू हो गए। हालात अब छत्तरगढ़ में भी बिगडऩे लगे। वहां भी मंगलवार को बाजार बंद रहे। लोगों ने अनूपगढ़ में जाने से साफ इनकार कर दिया। खाजूवाला बचाओ संघर्ष समिति के प्रवक्ता भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि सीएम जब जनभावना की बात करते हैं तो क्या उन्हें खाजूवाला की जनता की आवाज समझ नहीं आती। सीएम को जनभावना नहीं बल्कि जनभावना विरोधी कहना चाहिए। सीएम सिर्फ अपनी सीटें जीतने के लिए निर्णय कर रहे हैं लेकिन वे भूल गए कि इस बार खाजूवाला की आग पूरे बीकानेर जिले में फैलेगी।
मंत्री गोविंदराम व पूर्व विधायक डॉ. विश्वनाथ से दो-दो सवाल
क्त7 क्या आप खाजूवाला को बीकानेर मे रखने के समर्थन में हैं।
मैंने तो पहले ही बीकानेर कलेक्टर के मार्फत और सीएम से मिलकर कहा था कि खाजूवाला के लोग अनूपगढ़ नहीं जाना चाहते। मैंने उनको सब बता दिया था अब सीएम ने निर्णय किया है। मैं जानता हूं जनता नाराज है। मैँ बुधवार को सीएम से बांसवाड़ा में मिलूंगा। उन तक फिर जनता की बात पहुंचाऊंगा।
बिलकुल हूं। मेरे प्रधान ने 10 महीने पहले लिखकर कलेक्टर को दिया था। बीकानेर से खाजूवाला का दिली जुड़ाव है। इमोशनल, रिश्ते, जमीनें समेत तमाम रिश्ते हैं। मैने पहले भी ज्ञापन दिया था। आज भी संभागीय आयुक्त को कहा कि ये जनविरोधी निर्णय है।
लोगों का तर्क है कि खाजूवाला उपखंड से दंतौर और पूगल को अलग कर दिया फिर उपखंड कैसे बचेगा। हमें कहीं रावला के अंडर ना डाल दें। पंचायत समिति में 29 ग्राम पंचायते हैं। 12 पंचायतें निकल रही हैं। बची 17 पंचायतों में पंचायत समिति भी खत्म हो जाएगी। सीओ ऑफिस से पूगल और दंतौर थाने अलग हो जाएंगे। बचे खाजूवाला और छत्तरगढ़। फिर दो थानों पर सर्किल भी नहीं रहेगा। एडीजे कोर्ट की घोषणा हुई लेकिन उसके लिए भी कम से पांच थाने चाहिए।2. घर बीकानेर-जमीन अनूपगढ़ में: खाजूवाला में ज्यादातर उपनिवेशन से जमीन आवंटित हुई है। 70 प्रतिशत बीकानेर के लोगों को जमीन मिली या वहां लोगों ने खरीदी। जिनकी वहां जमीनें हैं उसमें 70 प्रतिशत लोगों ने बीकानेर में घर बनाकर रहते हैं। अब घर बीकानेर जिले में होगा और जमीनें अनूपगढ़ जिले में हो जाएंगी। ये दोहरी मार लोग नहीं झेलना चाहते।
खाजूवाला के लोग अकेले बीकानेर में नहीं बल्कि कोलायत,लूणकरणसर में भी रहते हैं।3. संभाग मुख्यालय से कटकर नवसृजित जिले में नहीं जाना चाहते: अभी पूगल बीकानेर संभाग मुख्यालय वाले जिले का हिस्सा है। अनूपगढ़ नया जिला है। अनूपगढ़ से सरकारी सुविधाओं से खाजूवाला ज्यादा संपन्न है। यहां स्वास्थय हब है। शिक्षा निदेशालय है। वेटेरनरी, कृषि, टेक्निकल और एमजीएस विवि है। प्रदेश स्तरीय दफ्तर हैं। दूरी के मामले में खाजूवाला से बीकानेर और खाजूवाला से अनूपगढ़ के बीच सिर्फ 10 किलोमीटर का फर्क है। ऊपर से अनूपगढ़ जाने के लिए टोल देना होगा सो अलग।4. राजनीतिक संबंध : खाजूवाला के नेता और वहां की जनता बीकानेर की राजनीति में घुली है। लोगों के कई नेताओं से रिश्ते हैं। खाजूवाला में गोविंद, विश्वनाथ के अलावा रामेश्वर डूडी, देवी सिंह भाटी, अर्जुनराम मेघवाल, वीरेन्द्र बेनीवाल की भी अच्छी पैठ है। कई चुनाव में खाजूवाला पूरे जिले की राजनीति को पलट देता है। खाजूवाला अगर अनूपगढ़ में चला गया तो नहरी क्षेत्र के नजरिये से प्रथम स्टेज और मजबूत हो जाएगा। बीकानेर जिले से एक विधानसभा भी कम हो जाएगी।

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