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बीकानेर: एक सॉफ्टवेयर ने सरकारी स्कूलों में नकल का कर दिया खुलासा, जाने कैसे खुली पोल

बीकानेर। प्रदेश के 33 जिलों के 262 स्कूलों और वहां के संस्था प्रधानों को शिक्षा विभाग ने नोटिस भेजे हैं। जानकारी के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने एक सॉफ्टवेयर ने राजस्थान के 262 सरकारी स्कूलों में नकल का खुलासा किया है। बच्चों का स्टैंडर्ड जानने के लिए हर साल तीन बार होने वाले एग्जाम को लेकर सामने आया है कि इसमें बच्चों को नकल करवाई गई। इस खुलासे एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या टीचर्स ही ये नकल करवा रहे हैं? इस एग्जाम में प्रदेशभर से 8वीं तक के करीब 45 लाख स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया था। एग्जाम में पूछे गए प्रश्नों का सभी बच्चों ने एक जैसा उत्तर दिया, इनकी संख्या 26 हजार के करीब बताई जा रही है। विभाग के अफसरों की मानें तो नकल कराने में वहां के शिक्षकों का हाथ हो सकता है। चौंकाने वाली बात ये भी है कि नकल करवाने के लिए जो आंसर बताए थे, वे भी गलत निकले। आखिर नकल करवाने का ये मामला क्या है? इसका खुलासा कैसे सामने आया? दरअसल, प्रदेश के सरकारी स्कूलों में क्लास एक से आठ तक के पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए वर्ष 2022 में राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम (RKSMBK) प्रोग्राम की शुरुआत की गई थी। इसके तहत बच्चों का साल में तीन बार एग्जाम होता है। पिछले शैक्षणिक सत्र में भी तीन एग्जाम हुए थे। हर एग्जाम में बच्चों को एक वर्कशीट दी जाती है। इसमें मल्टीपल चॉइस वाले प्रश्न आते हैं। यानी उनमें अ, ब, स, द में से किसी एक ऑप्शन चुनना होता है। ये एग्जाम सिर्फ बच्चों के क्लास लेवल के लिए होता है। यानी कोई बच्चा थर्ड क्लास में है तो उसके नॉलेज को देखा जाता है, यदि नॉलेज कम है तो टीचर्स उन बच्चों पर अलग से ध्यान देते हैं। दूसरा ये एग्जाम इसलिए भी शुरू किया गया था कि सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों का स्टैंडर्ड जाना जा सके कि बच्चों का मेंटल स्टेटस उस क्लास में पढ़ने के काबिल है या नहीं? एग्जाम के बाद उस वर्कशीट को मौखिक जांचने की बजाय इस बार एक खास सॉफ्टवेयर के जरिए स्कैन कर मंगवाया गया था। इस सॉफ्टवेयर को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस कर खास इसी एग्जाम के लिए तैयार किया गया है। इसी स्कैनर के जरिए ये पूरी गड़बड़ी सामने आई है। ये भी सामने आया कि नकल में टीचर ने बच्चों को गलत उत्तर तक भरवा दिए। यानी नकल करवाने वाले टीचर को ही नहीं पता कि सही उत्तर क्या है? एक वर्कशीट में पंद्रह प्रश्न दिए गए थे, उनके जवाब या तो सभी सही थे या फिर सभी गलत थे। ऐसा कई स्कूलों में सामने आया है। राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम यानी RKSMBK एग्जाम के लिए नेशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर (एनआईसी) ने इस स्पेशल सॉफ्टवेयर को तैयार किया है। यह सॉफ्टवेयर टीचर्स अपने मोबाइल में डाउनलोड करते हैं और एग्जाम होने के बाद कॉपी स्कैन करके सबमिट कर देते हैं। स्कैन करने के बाद टीचर का कोई काम नहीं है। इसका रिजल्ट भी एनआईसी ही जारी करता है। पिछले सेशन में हुए एग्जाम में भी ये ही प्रोसेस अपनाया गया था। चूंकि ये सॉफ्टवेयर AI पर काम करता है तो हर स्कूल का अलग-अलग डेटा तैयार किया गया। जब डेटा फिल्टर होकर शिक्षा विभाग के पास पहुंचा तो पता चला कि राज्य के 262 स्कूलों के रिजल्ट आपत्तिजनक है। वो कैसे? मान लीजिए- एक स्कूल में किसी एक प्रश्न का जवाब वहां के हर बच्चे ने एक जैसा दिया है। यानी किसी बच्चे ने “ए” ऑप्शन भरा है तो उस स्कूल में सभी बच्चाें की कॉपी में “ए” आंसर ही मिला है। अगर किसी प्रश्न का जवाब “बी” लिखा है तो सभी का उत्तर “बी” ही भरा है। चाहे उत्तर सही है या गलत। यानी गलत है तो सभी का गलत है और सही है तो फिर सभी का सही है। विभाग का मानना है कि ऐसा संभव ही नहीं है कि एक स्कूल के दो-तीन सौ स्टूडेंट्स बिना नकल के एक जैसा जवाब दें।

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