
इतने किलोमीटर में कोई भी पुलिस चौकी नहीं होने से तस्करों की हुई मौजा ही मौजा






बीकानेर। सीमित संसाधनों, अपर्याप्त नफरी के बीच दो थानों के बीच की दूरी यदि 100 किलोमीटर से अधिक हो तो तस्करों के लिए मौज होना लाजमी है। वृहद रूप से फैले सरहदी जैसलमेर जिले में शराब के अवैध व्यापार से जुड़े तस्कर इसी बात का फायदा भी उठा रहे हैं। हालांकि पुलिस तंत्र का दावा है कि अवैध शराब की तस्करी को रोकने के लिए अभियान चलाया जा रहा है और मोबाइल टीमें भी गठित की गई है। उनका यह भी तर्क है कि सप्ताह में 24 घंटों तक गश्त की जाती है और मुखबिरों को सक्रिय कर दिया गया है। इन सबके बीच हकीकत यह है कि उनके पास जो संसाधन उपलब्ध है, उससे इतने बड़े क्षेत्र में निगरानी रखने में असुविधा हो रही है।
नहरी क्षेत्र की बात की जाए तो बीकानेर के बज्जू थाना से जैसलमेर के नाचना पुलिस थाने तक लगभग 125 किमी की दूरी तक पुलिस थाना तो दूर पुलिस चौकी तक नहीं है। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस वृहद भू-भाग पर निगरानी रखने के लिए पुलिस तंत्र को कितनी सक्रियता बरतनी होगी। गौरतलब है कि पूर्व में सामने आए मामलों पर नजर डाले तो पंजाब, हरियाणा सहित राजस्थान के सूरतगढ़ व आसपास के क्षेत्र से बाड़मेर के रास्ते गुजरात तक शराब तस्करी के लिए यह क्षेत्र तस्करों के लिए सबसे आसान रास्ता बना हुआ है।
यूं रखी जाती है पुलिस की लोकशन पर नजर
अवैध शराब की तस्करी से जुड़े लोग पुलिस पर निगरानी भी रखते हैं। पुलिस की लोकेशन पर नजर रखने के लिए शराब तस्कर ट्रकों में शराब की खेप भेजती जाती है तो उनकी एसकोर्टिंग में लग्जरी वाहनों का उपयोग करते हैं। एसकोर्टिंग वाहन ट्रक के आगे-आगे चलकर पुलिस की लोकेशन से ट्रक संचालकों को हर स्थिति से अवगत कराते रहते हैं।
मरु प्रदेश में रुके मदिरा की धारा
नाचना थाना सडक़ मार्ग से भीतर की ओर नाचना गांव में स्थित है। बाकी के क्षेत्र सडक़ मार्गों पर पुलिस की कोई निगरानी नहीं है। दोनों थानों से बचकर निकलने में शराब तस्कर कई बार कामयाब हो जाते हैं। गौरतलब है कि दोनों ही थानों के क्षेत्र की दूरी 100 किमी से अधिक हैं। उधर, नोख थाना बीकानेर जैसलमेर सडक़ मार्ग से लगभग 20 किमी अंदर की ओर है।


