सरकार ने अब इस तरह के प्रदर्शनों पर लिया बड़ा फैसला, होगी 10 साल तक जेल

सरकार ने अब इस तरह के प्रदर्शनों पर लिया बड़ा फैसला, होगी 10 साल तक जेल

जयपुर। प्रदेश में आए दिन घटना—दुर्घटना में मृत व्यक्तियों के शव को लेकर हो रहे प्रदर्शन पर विराम लगाने के लिए राज्य सरकार सख्त कानून ला रही है। इसके तहत मृत शरीर को लेकर प्रदर्शन करने वालों को दो से दस साल तकी सजा का प्रावधान किया गया है। राज्य विधानसभा में आज राजस्थान में मृत शरीर का सम्मान विधेयक—2023 पर चर्चा कर पारित कराया जा रहा है।
इसलिए लाया गया है विधेयक
प्रदेश में पिछले कुछ सालों में शव को लेकर प्रदर्शन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसमें किसी भी प्रकार की घटना—दुर्घटना पर सरकार से मुआवजे की मांग को लेकर कई दिनों तक शव के साथ प्रदर्शन हुए। इन आंदोलनों में सामान्य कानूनी प्रक्रिया के तहत तो सरकार ने आंदोलनकारियों पर कार्रवाई की, लेकिन मृत शरीर की दुर्दशा व उसके दाह संस्कार की अनिवार्यता के संबंध में किसी भी प्रकार की कानून नहीं होने के कारण सरकार को कई बार पीछे भी हटना पड़ा। इन तमाम वाकयों को देखने के बाद सरकार ने प्रदेश में मृत शरीर का सम्मान विधेयक लाने का का निर्णय कर कवायद की है।
कारावास व जुर्माने का प्रावधान
विधानसभा में पेश कानून के तहत मृत शरीर का यथाशीघ्र सम्मानपूर्वक धर्मानुसार अंतिम संस्कार नहीं करने और शव को लेकर किसी भी प्रकार का प्रदर्शन या धरना करने पर सरकार ने सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया है।
मृतक के परिजन शव को नहीं लेते है तो एक साल की जेल और जुर्माना का प्रावधान
शव को लेकर प्रदर्शन किया तो दो साल की जेल और जुर्माना
परिजन के अलावा कोई अन्य व्यक्ति प्रदर्शन करेगा तो छह माह से पांच साल तक का कारावास व जुर्माना
मृत के बारे में कोई प्राधिकारी या अन्य अनुवांशिक जानकारी और गोपनीय सूचना देता है तो उसे तीन से दस साल तक की सजा और जुर्माना
कोई भी इस प्रकार के षडयंत्र में शामिल होता है तो उसे अपराध करने वाला माना जाएगा और कानूनी प्रक्रिया के तहत दंडित किया जाएगा
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश में इस प्रकार के अन्यायपूर्ण मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इनको रोकने के लिए राज्य में सक्षम कानून नहीं होने के कारण कार्रवाई करने में परेशानी आ रही थी। इसके अलावा शवों का अभिलेख करना, डीएनए प्रोफाइलिंग, डिजिटलाइजेशन के माध्यम से जेनेटिक डाटा सूचना का संरक्षण भी करना जरुरी हो गया है। इस प्रकार के मामलों में गोपनीयता भंग होने से भी परेशानी हो रही है, जिसके लिए कानून बनाना जरुरी हो गया है।
मौताणा सहित कई मामले
प्रदेश में मुख्य रूप से देखा जाए तो डूंगरपुर, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, बारां, प्रतापगढ़ जैसे आदिवासी बाहुल्य जिलों में दुर्घटना या आकस्मिक मौत पर मौताणा लेने की परंपरा है। इसके अलावा पिछले दिनों सीकर, नागौर, भरतपुर और दौसा सहित विभिन्न जिलों में भी इस प्रकार के मामलों में बढ़ोतरी हुई है

Join Whatsapp 26