
कांग्रेस नेताओं की मुलाकातों ने बढ़ाई सियासी हलचल, हरीश चौधरी ने लगाया अटकलों पर विराम






जयपुर। राजस्थान की राजनीति में पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी पिछले तीन चार दिनों सियासी गलियारों में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. इसका कारण उनसे पार्टी के कई नेताओं की मुलाकात है. अशोक गहलोत के धुर प्रतिद्वंदी सचिन पायलट से लेकर राज्य सरकार के मंत्री रामलाल जाट और परसादीलाल मीणा समेत कई मंत्री विधायकों ने हाल ही में हरीश चौधरी से मुलाकातें की हैं. इन मुलाकातों के बाद हरीश चौधरी अचानक सुर्खियों में आ गये हैं.
हरीश चौधरी की पिछले दिनों दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी. उनकी ये मुलाकात ऐसे वक्त में हुई थी जब प्रदेश में सत्ता और संगठन में बड़े फेरबदल को लेकर चर्चायें जोरों पर हैं. लेकिन हरीश चौधरी ने एक बयान देकर तमाम अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की है. पंजाब कांग्रेस के प्रभारी एवं बाड़मेर के बायतू से विधायक हरीश चौधरी ने कहा कि वे राजस्थान की वर्तमान लीडरशिप के साथ एक कार्यकर्ता के तौर पर काम करेंगे. चौधरी ने किसी भी पद की इच्छा जताने से भी इनकार किया है. उन्होंने कहा कि पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेगी. राहुल गांधी की सोच को हम जनता के बीच में ले जाने में कामयाब रहेंगे और फिर से कांग्रेस की सरकार बनायेंगे. उन्होंने गहलोत सरकार की नीतियों की भी सराहना की.
बयान के क्या हैं मायने
राहुल गांधी से मुलाकात के बाद जैसे ही हरीश जयपुर आये तो वो अचानक चर्चाओं के केंद्र में आ गए. उनकी मुलाकात ऐसे वक्त में राहुल गांधी से हुई थी जब गोविंद डोटासरा और सुखजिंदर रंधावा भी दिल्ली में थे. जयपुर में हरीश से मुलाकातों के पीछे एक कारण ये भी रहा कि प्रदेश के मंत्रियों और विधायकों की ये जानने में भी खासी दिलचस्पी रही कि राहुल गांधी राजस्थान में आगे क्या फैसला लेना चाहते हैं. इसकी कहीं न कहीं खबर हरीश चौधरी के पास है. इसलिए उन्होंने शिष्टाचार मुलाकात के बहाने ही सही हरीश चौधरी के घर का रूख किया. हरीश चौधरी को राहुल गांधी का नजदीकी माना जाता है.
वो आलाकमान के मन की बात जानते है!
कहने को तो ये सामान्य मुलाकातें बताई गईं, लेकिन अचानक पायलट से लेकर गहलोत सरकार के कद्दावर मंत्रियों का हरीश से मिलना ये जाहिर करता है कि वो आलाकमान के मन की बात जानते हैं. राजस्थान में आने वाले दिनों में होने वाले संभावित बदलावों की खबर उनके पास है. हालांकि हरीश चौधरी साफ कर चुके हैं कि वो अब पंजाब कांग्रेस के प्रभारी पद को छोड़ अपने निर्वाचन क्षेत्र पर बायतू पर ही फोकस करना चाहते हैं. क्योंकि चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं रह गया है.


