
ये कैसा त्याग… पार्टी नहीं परिवार के लिए सीट छोड़ने को तैयार






जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब पांच माह का समय रह गया है। राजस्थान कांग्रेस के कई बुजुर्ग नेता चुनाव नहीं लड़ने का त्याग तो कर रहे हैं, लेकिन ये त्याग कार्यकर्ताओं के लिए नहीं बल्कि अपने परिवार के लिए है। अब ऐसा ही एक नया ऐलान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और श्रीमाधोपुर से विधायक दीपेन्द्र सिंह शेखावत ने पोस्टर जारी करके किया है। वे अपने पुत्र बालेन्दु सिंह को टिकट दिलाना चाह रहे हैं। इसी तरह पूर्व मंत्री गुरमीत कुन्नर ने भी कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर रंधावा से कह दिया कि मेरे पुत्र को टिकट दे दो तो मेरी जान छूटे। कांग्रेस में इससे पहले मंत्री हेमाराम चौधरी, भरतसिंह और अमीन खां चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। पूर्व मंत्री गुरमीत कुन्नर ने इस कार्यकाल में मंत्री नहीं बनाए जाने के सवाल पर कहा कि ये फैसला करना तो आलाकमान के हाथ में है। कुन्नर ने हाथों-हाथ यह भी कह दिया कि जो मंत्री बने हुए हैं वह भी रोते हुए घूम रहे हैं। इसलिए अच्छा है कि मैं मंत्री नहीं बना। दीपेंद्र सिंह शेखावत 1980 में पहली बार श्रीमाधोपुर से विधायक बने थे। शेखावत ने कहा कि अब पिछले दो साल से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, हालांकि जनता अभी भी मुझे चुनाव जिताना चाहती है, लेकिन वो खराब स्वास्थ्य के चलते चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। शेखावत 2008 से 2013 तक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं। उनके पुत्र बालेन्दु शेखावत श्रीमाधोपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसी तरह पूर्व मंत्री कुन्नर ने भी खराब स्वास्थ्य की बात कहते हुए चुनाव लड़ने से मना किया और कहा कि वे अपने पुत्र को चुनाव लड़वाना चाहते हैं। वहीं शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला ने गुरुवार को कहा कि वे विनिंग कैंडिडेट हैं और विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि मेरी सीट पर कोई युवा तैयार होगा तभी तो सीट छोडूंगा, लेकिन अभी ऐसा नहीं है। यहीं नहीं भाजपा में भी कोई टिकट मांगने वाला नहीं है। राजनीति में तो जो काम करना चाहे वो कर सकता है, कोई छोड़ना चाहे तो छोड़ सकता है।

