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राजस्थान के 9 जिलों की ये 49 विधानसभा सीटें कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी

जयपुर। 2023 के लिए सियासी चौसर जमना शुरू हो गई है। भाजपा ने एकाएक तेजी दिखाते हुए चुनावी तैयारियों में बढ़त बना ली है। वहीं 9 जिलों की 49 विधानसभा सीटें कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बनी हुई है। इनमें से 8 जिलों में पिछले ढाई साल से पार्टी का संगठन ही नहीं है। जबकि विधायक भी महज 10 है।
2018 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस ने सरकार जरूरी बनाई, लेकिन झालावाड़, पाली, सिरोही, भीलवाड़ा, अजमेर, बूंदी, चित्तौडगढ़़, जालौर व उदयपुर की 49 सीटों पर प्रदर्शन खराब रहा था। 2023 में इन जिलों में प्रदर्शन अच्छा करने के लिए कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी महासचिव अजय माकन के समय प्लान बनाया गया, लेकिन संगठन के अभाव में यह प्लान कागजों में ही दफन रह गया। कांग्रेस संगठन चुनाव हुए अब पांच महीने बीत चुके हैं, लेकिन झालावाड़ को छोड़ अन्य 8 जिलों में कांग्रेस अब तक जिलों में संगठन खड़ा करना तो दूर जिलाध्यक्ष तक नहीं बना सकी है।
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ऐसे में पार्टी की सभी गतिविधियां ठप पड़ी है। गौरतलब है कि 2018 के चुनाव में पाली, झालावाड़ व सिरोही की 13 सीटों में से कांग्रेस को एक भी जीत नहीं मिली थी। हालांकि सिरोही से निर्दलीय जीते संयम लोढ़ा ने कांग्रेस को समर्थन जरूर दे दिया था। चुनाव नजदीक, चरम पर गुटबाजी: चुनाव में अब कुछ महीने बाकी है, लेकिन पार्टी में एकजुटता अभी भी नहीं दिख रही है। जिलाध्यक्षों के नामों को लेकर खींचतान के हालात बने हुए हैं। एक नाम पर सभी नेताओं की सहमति नहीं बनने के चलते नियुक्ति में लगातार देरी हो रही है।
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योजनाओं के साथ कुशल संगठन जरूरी:
जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लोकप्रिय योजनाओं के सहारे सरकार रिपीट करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा जैसी पार्टी के सामने चुनाव जीतने के लिए अच्छी योजनाओं के साथ कुशल संगठन व चुनाव प्रबंधन का होना जरूरी है। इसमें कांग्रेस पिछड़ती दिख रही है।

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