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इस बार भद्रा के साए में होगा होलिका दहन, जानिए क्या रहेगा श्रेष्ठ समय

जयपुर। होली का त्योहार सम्पूर्ण राजस्थान के साथ देश के अधिकतर प्रदेशों में फाल्गुन शुक्ल प्रदोषकाल व्यापिनी चतुर्दशीयुक्त पूर्णिमा पर 6 मार्च को मनाया जाएगा। वहीं अगले दिन 7 मार्च को रंगों का पर्व धुलंडी का उल्लास छाएगा। हालांकि राजस्थान में भद्रा के साए में होलिका दहन होगा। जयपुर में होलिका दहन का समय शाम 6 बजकर 26 मिनट से 6 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रदोषकाल व्यापिनी पूर्णिमा पर गोधूली बेला में होलिका का दहन किया जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा 6 मार्च को शाम 4.18 बजे प्रारंभ होगी, जो 7 मार्च को शाम 6.10 बजे तक रहेगी। राजस्थान में 6 मार्च को प्रदोष काल में पूर्णिमा मिल रही है। दूसरे दिन 7 मार्च को पूर्णिमा प्रदोष काल को स्पर्श नहीं कर पाएगी, इसलिए सम्पूर्ण राजस्थान में 6 मार्च को ही प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा पर गोधूली बेला में होलिका का दहन किया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पं. दोमादर प्रसाद शर्मा का कहना है कि होलिका दहन प्रदोषकालयुक्त गोधुली बेला में किया जाना शास्त्र सम्मत है। सूर्यास्त के 12 मिनट पहले और 12 मिनट बाद तक गोधूली बेला का समय रहता है। जबकि प्रदोषकाल सूर्यास्त के करीब दो घंटे बाद तक रहता है। 6 मार्च को सूर्यास्त शाम 6.26 बजे होगा। 7 मार्च को सूर्यास्त 6.27 बजे होगा, जबकि इससे पहले शाम 6.10 बजे पूर्णिमा समाप्त हो जाएगी।
भद्रा के साए में होलिका का दहन…
ज्योतिषाचार्य चन्द्रशेखर शर्मा ने बताया कि धर्मसिन्धु शास्त्रानुसार होलिका दहन में भद्रा को टाला जाता है, लेकिन भद्रा का समय यदि निशीथ काल (अद्र्धरात्रि) के बाद चला जाता है, तो होलिका दहन (भद्रा के मुख को छोडक़र) भद्रा पुच्छकाल या प्रदोषकाल में करना चाहिए। 6 मार्च को प्रदोषकाल में पूर्णिमा शाम 6. 27 बजे से 6.39 बजे तक रहेगी। इस बीच शाम 4.18 बजे से दूसरे दिन 7 मार्च को तडक़े 5.14 बजे तक भद्रा रहेगी। इस बार राजस्थान सहित देश में अधिकांश जगहों पर भद्रा के साए में होलिका दहन होगा।

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