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राइट टू हेल्थ के विरोध में पहली बार सीएम ने तोड़ी चुप्पी, कहा- बड़े हॉस्पिटल कर रहे नखरे…जबकि ये सेवा का काम है

खुलासा न्यूज। राजस्थान सरकार राइट टू हेल्थ बिल लेकर आ रही है। इससे पहले प्रदेश के बड़े निजी अस्पताल और डॉक्टर्स ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। कुछ दिनों पहले प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटल में ओपीडी भी बंद रखी। इधर, सरकार से बातचीत का दौर चला, लेकिन वार्ता विफल हुई। इस बीच, सीएम अशोक गहलोत ने पहली बार इस बिल के विरोध में चुप्पी तोड़ते हुए बड़े हॉस्पिटल्स को लेकर निशाना साधा। प्राइवेट हॉस्पिटल की ओर से किए जा रहे विरोध पर उन्होंने कहा- बड़े हॉस्पिटल इस बिल को लेकर नखरे कर रहे हैं। उनको ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि वह पैसा कमाते हैं, जबकि ये सेवा का काम है। दरअसल, गहलोत तीन दिनों से जोधपुर के दौरे पर हैं। वह सोमवार को पाली रोड स्थित व्यास मेडिसिटी के लोकार्पण समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे। समारोह में उन्होंने राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे डॉक्टर्स और हॉस्पिटल्स पर निशाना साधा।

सीएम ने कहा कि आपको मालूम होना चाहिए कि संविधान के अंदर भी शिक्षा और स्वास्थ्य को कमाई के लिए नहीं बल्कि सेवा की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए इनके संचालन के लिए ट्रस्ट बनाना पड़ता है, सोसाइटी बनानी होती है। पैसा कमाओ तो उसी में लगाओ। वो अलग बात है कि कुछ लोग पैसे का अलग जगह उपयोग करते होंगे। लेकिन, भावना ये होनी चाहिए। सरकार की सेवा भावना को देखते हुए उन्हें आगे आना चाहिए और सरकार का सहयोग करना चाहिए। सीएम ने कहा कि हमने उनको कहा कि हमारे राजस्थान में पंजाब, एमपी, गुजरात कहीं का भी कोई एक्सीडेंट में प्राइवेट हॉस्पिटल इलाज के लिए आए तो उसका तुरंत इलाज शुरू होना चाहिए। इसका पैसा हम आपको देंगे। आपको 48 घंटे उसे वहां रखना है और फिर हम उसे शिफ्ट करवा देंगे। राजस्थान की धरती पर कोई भी व्यक्ति बीमार पड़े, उसका इलाज होना चाहिए। हमारे प्रदेश, मारवाड़ की परंपरा है संस्कृति है। यहां से एक मैसेज पूरे देश के अंदर जाना चाहिए कि राजस्थान वह धरती है, जहां हर व्यक्ति की सेवा की जाती है।

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