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विवादों का अखाड़ा बना बीकानेर नगर निगम, सचिव से कार्यभार लेने के विरोध में कांग्रेसी पार्षदों का एक गुट, कल मिल सकते हैं कलेक्टर से

खुलासा न्यूज, बीकानेर। बीकानेर नगर निगम विवादों का अखाड़ा बन गया है, जिसमें अब जनता के काम कम और आपसी लड़ाई अधिक हो रही है। यह खेल तब से चल रहा है जब से सुशीला कंवर राजपुरोहित ने महापौर की कुर्सी संभाली है। महापौर और निगम अधिकारियों की इस लड़ाई में नुकसान बीकानेर शहर को हो रहा है। जहां आपसी तालमेल के साथ शहर का विकास होना चाहिए था वहां लड़ाई-झगड़े के बीच शहर का विकास रूक हुआ पड़ा है। महापौर-अधिकारी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर पल्ला झाड़ रहे है। ऐसे में किसी को समझ भी नहीं आ रहा है कि इस लड़ाई की मुख्य कारण क्या है? गुरुवार को भी विवाद सामने आया। शहर के विकास पर बात होने की जगह पूरा दिन विवाद में निकाल दिया। एक अधिकारी को हटाने के लिए महापौर खुद पार्षदों को लेकर मैदान में उतर गई। हालांकि इस तरह महापौर द्वारा मैदान उतरना पहली बार नहीं था, बल्कि इससे पहले निगम आयुक्त गोपालरा बिरदा को हटाने के लिए भी महापौर ने धरना लगाया था। जिसके बाद सरकार ने आयुक्त को यहां से हटाने की बजाय छुट्टी पर भेज दिया। जैसे ही धरना समाप्त हुआ उसके कुछ दिन बाद आयुक्त ने फिर से जॉइन कर लिया। उसके बाद विवाद चलता रहा और विकास थमता रहा। आयुक्त यहां से गये तो महापौर का अब सचिव के साथ विवाद हो गया। दोनों के बीच तू-तड़ाके में बातचीत हुई। जिससे गुस्साई महापौर ने पार्षदों को बुलाकर सचिव के कार्यालय में धरना लगा दिया और सचिव को निलंबित करने पर अड़ गई। इस मांग को लेकर महापौर कलेक्टर के पास भी गई, लेकिन जो महापौर चाहती थी वो बात बनी नहीं। शाम होते-होते निगम आयुक्त ने आदेश जारी कर सचिव हंसा मीणा से कार्यभार ले लिया। ऐसे में मामला बीच में अटका कर छोड़ दिया। अब इस मामले को लेकर बात यह भी सामने आ रही है कि कांग्रेसी पार्षदों का एक गुट महापौर के इस रवैये के विरोध में है। यह गुट कल कलेक्टर से मिल सकता है। ऐसे में देखना का विषय होगा कि इस घटनाक्रम को लेकर कल क्या होगा।

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