
5-6 रुपये किलो तक कम हो सकता है गेहूं-आटे का मूल्य






नई दिल्ली। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन आफ इंडिया (क्रस्नरूस्नढ्ढ) ने खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं बेचने के फैसले का स्वागत किया है। फेडरेशन का कहना है कि सरकार के इस कदम से गेहूं और आटे के मूल्य में 5-6 रुपये प्रति किलो तक की गिरावट आ सकती है। गेहूं और आटे के बढ़ते मूल्य पर अंकुश पाने के लिए सरकार ने बुधवार को बफर स्टाक से 30 लाख टन गेहूं बेचने की घोषणा की थी।
नैफेड को 23.50 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं बेचा जाएगा
इस गेहूं की बिक्री भारतीय खाद्य निगम (स्स्नढ्ढ) की ओर से अगले दो महीनों में विभिन्न तरीकों से करेगी। एफसीआइ की ओर से थोक खरीदारों को ई-नीलामी के जरिये बेचा जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, सहकारी समिति, केंद्रीय भंडार नैफेड जैसे संस्थानों को 23.50 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं बेचा जाएगा। यह संस्थान इस गेहूं से बनने वाले आटे की बिक्री 29.50 रुपये प्रति किलो से अधिक मूल्य पर नहीं बेच सकेंगे। फेडरेशन के प्रेसिडेंट प्रमोद कुमार का कहना है कि यह सरकार के एकदम सही कदम है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को देश के प्रमुख शहरों में गेहूं का मूल्य 33.43 रुपये और आटे का मूल्य 37.95 रुपये प्रति किलो था, जबकि पिछले वर्ष समान अवधि में इनका मूल्य क्रमश: 28.24 रुपये और 31.41 रुपये प्रति किलो था। सरकार ने कहा था कि गेहूं की खुले बाजार में बिक्री से गेहूं और आटे के बढ़ते मूल्य पर तुरंत असर पड़ेगा। इससे आम आदमी को राहत मिलेगी।
बढ़ती महंगाई से सरकार वाकिफ
बता दें कि बाजार में गेहूं की बढ़ती महंगाई से सरकार वाकिफ है। इस संवेदनशील मसले पर इसी सप्ताह किसी भी दिन फैसला लिया जा सकता है। कुछ दिनों पहले खुले बाजार में गेहूं बेचने (ओएमएसएस) के बारे में पिछले दिनों खाद्य सचिव ने कहा था कि इसका फैसला जल्दी ही किया जाएगा। गेहूं और उसके उत्पादों की महंगाई रोकने के लिए हस्तक्षेप करेगी। चालू रबी सीजन में खेतों में खड़ी गेहूं की फसल बहुत अच्छी है, जिससे रिकार्ड उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है।


