
राजस्थान के इस मंदिर में अगर कोई रुक जाता है रात को तो बन जाता है पत्थर की मूर्ति







भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है. हमारे देश में लाखों की संख्या में मंदिर हैं, जिनकी अपनी-अपनी विशिष्ट पहचान और कहानियां हैं. कई मंदिरों को लेकर रहस्यमयी कहानियां भी प्रचलित हैं. इन्हीं में से एक है बाड़मेर में स्थित किराडू मंदिर. इसे राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है. किराडू मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी शख्स सूर्यास्त के बाद इस मंदिर में रुकता है, वह पत्थर की मूर्ति में तब्दील हो जाता है. आज आपको इसी मंदिर की रहस्यमयी कहानी बताने जा रहा है…
किराडू मंदिर को राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है. यह मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है. इसे चमत्कार कहा जाए या फिर मान्यताओं को आंख मूंदकर मानने की प्रथा या फिर अंधविश्वास पर इस मंदिर में सूर्यास्त होने के बाद कोई नहीं रुकता है. ढलते सूर्य के साथ यहां से लोगों का जाना भी शुरू हो जाता है. इसके पीछे दिलचस्प प्राचीन कहानी है.
माना जाता है कि शताब्दियों पहले इस मंदिर को किराट कूपके नाम से जाना जाता था. इस मंदिर की 5 शृंखलाएं हैं, जिनमें से शिव मंदिर और विष्णु मंदिर ही ठीक अवस्था में है. बाकी के मंदिर रखरखाव के अभाव में खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस मंदिर का निर्माण किस वंश के शासनकाल में किया गया, लेकिन माना जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण गुप्त वंश, संगम वंश या फिर गुर्जर-प्रतिहार वंश के दौरान कराया गया होगा. अब सवाल उठता है कि किराडू मंदिर में रात में लोग क्यों नहीं रुकते हैं? प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, मंदिर में एक सिद्ध साधु अपने शिष्यों के साथ घूमने आए थे. वह शिष्यों को मंदिर में छोडक़र भ्रमण करने चले गए. इस बीच, मंदिर में रुके शिष्यों में से एक की तबीयत खराब हो गई. बाकी के शिष्यों ने आसपास रहने वाले ग्रामीणों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने भी उनकी सहायता नहीं की थी. सिद्ध साधु जब वापस लौटे तो उन्हें घटना के बारे में सूचित किया गया. इससे साधु क्रोधित हो गए और ग्रामीणों को श्राप दे दिया. उन्होंने अपने श्राप में कहा था कि सूर्यास्त होते ही सारे गांव वाले पत्थर में बदल जाएंगे.सिद्ध साधु जब वापस लौटे तो उन्हें घटना के बारे में सूचित किया गया. इससे साधु क्रोधित हो गए और ग्रामीणों को श्राप दे दिया. उन्होंने अपने श्राप में कहा था कि सूर्यास्त होते ही सारे गांव वाले पत्थर में बदल जाएंगे. इस मंदिर के बारे में एक और लोककथा प्रचलित है. बताया जाता है कि बीमार शिष्य की एक महिला ने सहायता की थी. साधु ने उस महिला को गांव छोड़ कर जाने को कहा था. साथ ही पलटकर गांव की ओर न देखने की हिदायत दी थी. हालांकि, कुछ दूर जाने के बाद महिला ने पलटकर देख लिया और उसके साथ वह पत्थर की मूर्ति बन गईं. इस मंदिर के बारे में एक और लोककथा प्रचलित है. बताया जाता है कि बीमार शिष्य की एक महिला ने सहायता की थी. साधु ने उस महिला को गांव छोड़ कर जाने को कहा था. साथ ही पलटकर गांव की ओर न देखने की हिदायत दी थी. हालांकि, कुछ दूर जाने के बाद महिला ने पलटकर देख लिया और उसके साथ वह पत्थर की मूर्ति बन गईं


