
हड्डी जमा देने वाली ठंड अपने पीक पर:अभी दो दिन राहत नही






बीकानेर। राजस्थान में हड्डी जमा देने वाली ठंड का प्रकोप जारी है। लोगों को अभी दो-तीन दिनों तक कड़ाके की सर्दी से राहत मिलने वाली नहीं है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि भयंकर सर्दी और शीतलहर का यह दौर विंटर सीजन का पीक है। यानी ठंड अपने चरम पर है। 19 जनवरी के बाद से इसका असर कम होने लगेगा।
उत्तर भारत के मौसम में होने वाले बड़े बदलाव के कारण पहाड़ी इलाकों से राजस्थान समेत मध्य भारत में आने वाली बर्फीली हवाएं रुक जाएंगी। इसके बाद से मौसम में गर्माहट बढ़ेगी। न्यूनतम तापमान में सुधार दिखाई पड़ेगा।
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक 19 से 23 जनवरी तक दो बैक-टू-बैक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आएंगे। इसके प्रभाव से हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख से आ रही बर्फीली हवाएं थम जाएंगी। इससे राजस्थान समेत दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के हिस्सों में तापमान बढ़ने लगेंगे। यहां लोगों को सुबह-शाम पड़ने वाली कड़ाके की सर्दी से राहत मिलेगी।
चूरू, फतेहपुर, माउंट के साथ अलवर में भी पारा माइनस में
राजस्थान में आज लगातार चौथे दिन पारा जमाव बिंदु से भी नीचे दर्ज हुआ। सीकर के फतेहपुर में आज कल के मुकाबले आज तापमान गिरकर -4.5 पर पहुंच गया। यहां लगातार चौथा दिन है जब तापमान माइनस तीन डिग्री सेल्सियस से नीचे है। इसी तरह चूरू में आज जबरदस्त सर्दी रही। यहां पारा -2.7 पर रिकॉर्ड हुआ। चूरू में 8 साल बाद रात का टेम्प्रेचर इतना गया है, इससे पहले 3 जनवरी 2014 को भी चूरू में इतना ही टेम्प्रचेर दर्ज हुआ था। इधर जयपुर के जोबनेर में आज न्यूनतम तापमान -3.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। माउंट आबू में पारा -2 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, यहां एक दिन पहले टेम्प्रेचर -6 था। इन शहरों के अलावा आज अलवर में भी पारा -0.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ।

चूरू में सर्दी के कारण पक्षियों के लिए रखा पानी भी सर्दी के कारण जम गया।
23 से बनेगा एक बड़ा सिस्टम
जानकारों के मुताबिक 23 जनवरी को एक स्ट्रॉन्ग वेस्टर्न डिस्टर्बेंस उत्तर भारत में एक्टिव होगा। इससे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कई हिस्सों में तेज बर्फबारी होगी। इसके साथ ही हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पूर्वी मध्य प्रदेश के हिस्सों पर एक हवाओं का साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनेगा, इसके असर से यहां बारिश हो सकती है। इस सिस्टम से मध्य भारत के कई हिस्सों में सीजन की पहली मावठ होगी।


