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कमजोर जनाधार वाले मंत्री-विधायकों के टिकटों पर चलेगी कैंची, कांग्रेस करवा रही है सर्वे

जयपुर। प्रदेश में विधानसभा चुनाव में 10 महीने बचे हैं। राज्य के बजट के बाद इस बार मार्च-अप्रैल से टिकट को लेकर एक्सरसाइज शुरू होने वाली है। कांग्रेस में इस बार टिकट के पैटर्न में कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे।
कमजोर जनाधार वाले मंत्री-विधायकों के टिकटों पर इस बार खतरा है। फिर से जीत नहीं सकने वाले मंत्री- विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। इसके लिए एक सर्वे को आधार बनाया जाएगा।
कांग्रेस जल्द सभी 200 सीटों पर जनता के बीच एक बड़ा सर्वे करवाएगी। आमतौर पर हर चुनाव से पहले सर्वे होते हैं, लेकिन इस बार सर्वे में ज्यादा लोगों का फीडबैक लिया जाएगा ताकि मौजूदा विधायक की खामियों, खूबियों और जीतने वाले उम्मीदवार पर तस्वीर साफ हो सके। सरकार और कांग्रेस संगठन के स्तर पर भी कई बार फीडबैक लिया गया है।
मार्च से सितंबर तक चलेगा सर्वे
कांग्रेस चुनावी साल में जो सर्वे करवाएगी, वह टिकट वितरण के लिए बड़ा आधार बनेगा। मार्च-अप्रैल से लेकर अगस्त, सितंबर तक सर्वे का दौर चलेगा।
हालांकि, हर चुनाव से पहले पार्टियां सर्वे करवाती रही हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस सर्वे के पैटर्न में बदलाव करेगी और ज्यादा लोगों के बीच पहुंचकर राय लेने के लिए सैंपल साइज बड़ा करवाया जाएगा।
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का कहना है कि सर्वे के आधार पर टिकट का फैसला होगा। पहले संगठन के खाली पद पर नियुक्तियों पर काम होगा, इसके बाद सर्वे पर काम होगा।
कांग्रेस के नए प्रदेश प्रभारी रंधावा ने पिछले सप्ताह कांग्रेस नेताओं से दो दिन तक अलग-अलग फीडबैक लिया था।
इन बैठकों में कई नेताओं ने सुझाव दिया कि जिन मंत्रियों और विधायकों के फिर से जीतने की हालत नहीं है, उनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया जाना चाहिए।
प्रभारी रंधावा की वरिष्ठ नेताओं की बैठक में इस बात का जिक्र आया था कि राजस्थान हो या पंजाब कांग्रेस के ज्यादातर मंत्री चुनाव हारते हैं, इसलिए नए चेहरे को मौका देने का फॉर्मूला अपनाया जाना चाहिए।
सरकार बचाने वाले निर्दलीय और बसपा मूल के विधायक चुनौती
मौजूदा कांग्रेस सरकार गठबंधन सरकार है। 13 निर्दलीय और छह बसपा से कांग्रेस में आए विधायक हैं। बताया जाता है कि इनमें से ज्यादातर से टिकट देने का वादा किया हुआ है। इन 19 में से ज्यादातर विधायकों के टिकट काटना आसान नहीं होगा। इन्हें टिकट देने पर कांग्रेस के भीतर चुनाव से पहले 19 सीटों पर बवाल होना तय है।
पिछले चुनावों में इन 19 सीटों पर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लडऩे वाले नेता अब भी समय समय पर पर नाराजगी जताते रहते हैं।
19 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार रहे नेताओं ने पिछले सप्ताह प्रदेश प्रभारी से मिलकर उनकी अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए जमकर नाराजगी जताई थी। अब चुनावों में टिकटों को लेकर इन 19 सीटों पर विवाद होना तय माना जा रहा है।
पहले उम्मीदवार घोषित करने की रणनीति
कांग्रेस में इस बार कमजोर सीटों पर पहले उम्मीदवार घोषित करने की रणनीति है। कांग्रेस में टॉप लेवल पर इस बात का सुझाव आया है कि जो सीटें सबसे ज्यादा कमजोर हों वहां पहले उम्मीदवार घोषित किया जाएं, ताकि चुनाव प्रचार से लेकर ग्राउंड कनेक्ट तक आसानी रहे।
दो बार हार चुके नेताओं को टिकट मिलना मुश्किल
कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर पहले भी कई बार मापदंड बने, लेकिन चुनाव आते आते उन्हें छूट मिल ही जाती है। पिछले विधानसभा चुनावों में दो बार या इससे ज्यादा बार हारने वाले नेताओं के टिकट काटने का पैरामीटर तय किया था, लेकिन चुनाव आते आते इसमें ढील दे दी गई। बीडी कल्ला को इस मापदंड को अलग रखकर टिकट दिया गया था। इस बार भी कुछ अपवादों को छोडक़र दो बार या इससे ज्यादा हारने वालों को टिकट मिलना मुश्किल है।

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