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मासूम बच्चियों से दुष्कर्म व गैंगरेप के 1350 मामलों में पुलिस ने लगाई एफआर

जयपुर। हम बच्चे हैं, समझ जरा कम है, इतना तो अन्याय मत कीजिए सरकार.यह गुहार उन मासूम बालक-बालिकाओं की है, जिन्होंने छेड़छाड़, दुष्कर्म या गैंगरेप का दंश झेला और पुलिस ने अपराधियों को हवालात के पीछ पहुंचाने के बजाए उनके मामलों को झूठा बताते हुए एफआर लगा ही। ऐसे एक-दो नहीं बल्कि 1350 मामले हैं। दरअसल, पुलिस ने पिछले दो साल में बच्चों से दुष्कर्म, गैंगरेप आदि के 20 फीसदी से अधिक मामलों में एफ आर लगाई है। 1 जनवरी 2020 से 31 जनवरी 2022 के बीच राज्य में नाबालिग बालक-बालिकाओं से छेड़छाड़, दुष्कर्म, गैंगरेप आदि के 6467 प्रकरण पुलिस थानों में दर्ज हुए। इनमें से 1350 मामलों में पुलिस ने एफआर लगा दी। जबकि ये सभी मामले पोक्सो एक्ट में दर्ज किए गए थे।
मेवात क्षेत्र में सर्वाधिक लगी एफआर
बच्चों के साथ दुष्कर्म, गैंगरेप के मामलों में एफआर लगाने के मामले सबसे आगे मेवात इलाके के जिले भरतपुर व अलवर हैं। भरतपुर जिले में तो करीब 42 फीसदी मामलों में पुलिस ने एफआर लगाई है। वहीं अलवर जिले में 38.2 फीसदी प्रकरणों में एफआर लगी है।
करीब 90 फीसदी मामले कोर्ट में लम्बित
बच्चों से हिंसा के मामलों में पुलिस के बाद कोर्ट के स्तर पर भी देरी हो रही है। दरअसल, हाल ही राज्य में बच्चों के साथ हो रही हिंसा व बाल सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट के दो न्यायाधीश, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव व यूनिसेफ की राजस्थान हैड की संयुक्त कमेटी ने रिपोर्ट तैयार की है। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 के 89 फीसदी व साल 2020 के 92 फीसदी मामले अदालतों में लम्बित हैं। जिन 10-11 प्रतिशत मामलों का कोर्ट में निस्तारण हुआ है, उनमें से भी 54 फीसदी में ही अपराधियों को सजा हुई है।

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