




राजस्थान हाईकोर्ट ने 16 साल की युवती के साथ सहमति से फिजिकल रिलेशन बनाने वाले प्रेमी पर दर्ज एफआईआर को खारिज करते हुए पॉक्सो के मामले को रद्द कर दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट किसी नाबालिग के साथ संबंध बनाने के पक्ष में नहीं है और न ही किसी को ऐसा करने की अनुमति देता है। यह कटु सत्य है कि प्यार किसी कानूनी या सामाजिक नियमों को ध्यान में रखकर नहीं होता। नासमझी में दो लोगों के बीच बने संबंधों में बात इतनी आगे बढ़ गई कि एक बच्चा पैदा हो गया, जबकि दोनों में से एक नाबालिग है।
न्यायाधीश दिनेश मेहता ने कहा कि ऐसे मामलों में कोर्ट मूक दर्शक नहीं रह सकता। इसका सीधा प्रभाव दोनों के परिवार के साथ ही प्रेम-प्रसंग के बाद उपजे बच्चे पर पड़ेगा। इन सभी को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज किया जाता है।
या था पूरा मामला
4 अगस्त को एक 16 साल की सीमा (बदला हुआ नाम) को पेट दर्द होने पर घरवाले उम्मेद हॉस्पिटल ले गए थे। यहां डॉक्टरों ने बताया कि वह प्रेग्नेंट है। इसके कुछ दिनों बाद उसने बेटे को जन्म दिया। नाबालिग के बेटे को जन्म देने के बाद देवनगर थाना अधिकारी हॉस्पिटल पहुंचे थे।
यहां नाबालिग के बयान हुए। बयान में लड़की ने कहा कि 22 साल के सुनील (बदला हुआ नाम) के साथ अफेयर था। इस दौरान आपसी सहमति से दोनों के बीच फिजिकल रिलेशन बने और वह प्रेग्नेंट हो गई। नाबालिग के बयान के आधार पर देव नगर थानाधिकारी की ओर से पॉक्सो एक्ट में रेप का मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की।


