
कहां अटक गई बीजेपी-कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की सूची?नाम तय, मगर नियुक्ति नहीं






जयपुर। राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं का संगठन विस्तार का इंतजार अब तक भी खत्म नहीं हुआ है। दोनों राजनीतिक पार्टियां गुटबाजी और आंतरिक क्लेश से उबर नहीं पाई हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लम्बे समय पहले दोनों ही पार्टियों में संगठन स्तर पर बड़े बदलावों की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बावजूद अबतक नाम घोषित नहीं किए गए हैं।
कांग्रेस में जहां प्रदेशभर में शहर और देहात के लिए जिलाध्यक्ष घोषित होने हैं। इसके लिए कांग्रेस ने प्रक्रिया पूरी कर ली है। खुद प्रदेशाध्यक्षगोविंद सिंह डोटासरा यह कह चुके हैं कि जिलाध्यक्षों के नाम फाइनल हैं और लिफाफे में बंद कर केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण को भेजे जा चुकेहैं। अब वहीं से जिलाध्यक्षों की लिस्ट जारी होगी। यह प्रक्रिया हुए लगभग 1.5 महीने से ज्यादा हो चुका है। मगर कांग्रेस में नाम अबतकसामने नहीं आए हैं।
कांग्रेस के लिए तो यह विस्तार ज्यादा जरूरी है। क्योंकि जून 2020 में जब सचिन पायलट और उनके समर्थक मानेसर चले गए थे। तब कांग्रेस ने राजस्थान में पूरी कार्यकारिणी को रद्द कर दिया था। इसके बाद कुछ जिलों में जिलाध्यक्ष नए लगाए गए थे। मगर प्रदेश के ज्यादातरहिस्सों में निर्वतमान जिलाध्यक्ष और पुरानी कार्यकारिणी ही काम कर रही है। 2.5 साल बीत जाने के बावजूद इस पर निर्णय नहीं हो सका है।वहीं अगर बात बीजेपी की हो तो वहां भी लगभग 13 जिलाध्यक्ष बदलने को लेकर बीजेपी की कवायद पूरी हो चुकी है। ऐसे जिलाध्यक्ष जोअगले साल विधानसभा 2023 में चुनाव लडऩा चाहते हैं या जो नॉन परफॉरमिंग रहे हैं। ऐसे जिलाध्यक्षों को बीजेपी बदल रही है।इसके लिए बीजेपी ने पांच वरिष्ठ नेता सुनील कोठारी, नारायण पंचारिया, वासुदेव देवनानी, हिरेंद्र शर्मा और शैलेंद्र भार्गव को जिम्मेदारी दीथी। पांचों नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्र की रिपोर्ट भी संगठन को दे दी। मगर इसके बावजूद अबतक इन नामों पर निर्णय नहीं हो सका है।कांग्रेस में सियासी संकट, बीजेपी में आंतरिक कलहमाना जा रहा है कि दोनों पार्टियों में निर्णय नहीं हो सकने की अपनी वजहें हैं। कांग्रेस में जहां सियासी संकट चरम पर है। मुख्यमंत्री से लेकरपीसीसी चीफ तक को लेकर स्थितियां स्पष्ट नहीं हैं। अबतक प्रदेशाध्यक्ष को लेकर ही निर्णय नहीं हुआ है। ऐसे में उससे पहले जिलाध्यक्ष को
लेकर निर्णय होना मुश्किल लगता है।इधर बीजेपी में ऊपर से भले सब सामान्य दिखता हो। मगर अंदरूनी कलह है। इसके चलते कई वरिष्ठ नेताओं की रूचि अलग-अलग इलाकोंमें अपने लॉयल नेताओं को पद दिलवाने की है। इसके चलते बीजेपी में भी मुश्किलात पैदा हो रही हैं।चुनाव से एक साल पहले बदलाव चाहती हैं पार्टियांराजस्थान में दिसम्बर 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में प्रदेश से लेकर ब्लॉक स्तर तक जो भी बदलाव होने हैं, वो बदलाव चुनावसे सालभर पहले हो जाएं, इसी पर दोनों पार्टियों की नजर है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों चाहती हैं कि ब्लॉक अध्यक्ष से लेकर प्रदेशाध्यक्ष तकजिस भी नए व्यक्ति को कमान दी जा उसे वर्किंग के लिए कम से कम एक साल का समय मिले। मगर दोनों ही पार्टियां अंदरूनी खींचतानके चलते निर्णय नहीं कर पा रही हैं।


