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चुनाव में अब नहीं बच पाएंगे झूठे हलफनामे देने वाले उम्मीदवार, हो सकते हैं भविष्य में अयोग्य

जयपुर। विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव या फिर स्थानीय निकाय चुनाव। हर उम्मीदवार सम्पत्ति, बच्चों की संख्या, कर्ज जैसे कई बिन्दुओं पर हलफनामे पेश करता है। नामांकन के समय ये दस्तावेज के रूप में लगाए जाते हैं और उसके बाद उम्मीदवारों के इन हलफनामों की जांच भी नहीं होती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। ऐसे उम्मीदवारों पर गाज गिरेगी और निर्वाचन आयोग के अफसरों को भी नहीं बख्शा जाएगा। ऐसे उम्मीदवारों को भविष्य में चुनाव लडऩे से वंचित भी किया जा सकता है।
सख्त कार्रवाई का निर्देश
राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने साफ कह दिया हैं कि आयोग ऎसे निर्वाचन अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय कर सख्त कार्रवाई करेगा, जो उम्मीदवारों के झूठे शपथ पत्र की जांच करने में विफल रहते है। गुप्ता ने कहा कि आयोग पंचायत व नगरपालिका चुनावों को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से सम्पादित कराने के लिए प्रतिबद्ध है। आयोग निर्वाचन नियमों की सख्त पालना सुनिश्चित कर चुनावों में ऎसे उम्मीदवारो का निर्वाचन रोकेगा, जो झूठे शपथ देते है।
शपथ पत्रों की गहन जांच करें:
आयुक्त ने बताया कि आयोग उम्मीदवारों द्वारा संतान संबंधी, आपराधिक पृष्ठभूमि व संपत्ति के संबंध में दिए गए झूठे शपथ पत्रों पर कार्रवाई करता है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन अधिकारी की प्रमुख जिम्मेदारी है कि वे शपथ पत्रों की गहन जांच करें। जो निर्वाचन अधिकारी झूठे शपथ पत्रों को जांचने में विफल या लापरवाह रहते है, उनके व उम्मीदवार, दोनों के विरूद्ध कानून सम्मत सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। उन्होंने मीडिया से अपील की वे स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सम्पादित करवाने में झूठे शपथ पत्र से संबंधित प्रावधानों का प्रचार-प्रसार भी करें।

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