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साहित्य के माध्यम से ही संस्कृति सुरक्षित रह सकती है : जस्टिस व्यास

खुलासा न्यूज़ लूणकरणसर बीकानेर संवाददाता लोकेश कुमारबोहरा लूनकरणसर, 16 अक्टूबर।

बीकानेर।रोटरी क्लब बीकानेर का राज्य स्तरीय राजस्थानी भाषा पुरस्कार एवं सम्मान समारोह में इस वर्ष के राज्य स्तरीय ब्रज उर्मी राजस्थानी पद्य पुरस्कार से लूणकरणसर के राजूराम बिजारणियां को नवाज़ा गया।
रविवार को संपन्न हुए इस समारोह में कला डूंगर कल्याणी राजस्थानी शिखर पुरस्कार नाहर सिंह जसोल, जोधपुर और खींवराज मुन्नीलाल सोनी राजस्थानी गद्य पुरस्कार शंकरसिंह राजपुरोहित,बीकानेर
की दिया गया। राजस्थान उच्च न्यायालय जस्टिस मदन गोपाल व्यास समारोह के मुख्य अतिथि रहे। मुख्य अतिथि जस्टिस व्यास ने कहा कि साहित्य के माध्यम से ही संस्कृति सुरक्षित रह सकती है। हमें अपनी नई पीढ़ी को मातृभाषा राजस्थानी से जोड़ना चाहिए ताकि वे अपनी हजारों साल पुरानी भाषा की विरासत को जान समझ सकें। इस अवसर पर राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के अध्यक्ष शिवराज छंगाणी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
गौरतलब है कि राजस्थानी कविता विधा में श्रेष्ठ सर्जन के लिए दिया जाने वाला ‘ब्रज उर्मी’ राजस्थानी पद्य पुरस्कार बिजारणियां को उनकी काव्य कृति ‘चाल भतूळिया रेत रमां’ को दिया गया है। पुरस्कार के तहत उनको नगद राशि के साथ सम्मान पत्र श्रीफल और साहित्य अर्पित किया गया। कार्यक्रम में बिजारणियां ने अपनी रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डाला, वहीं अपनी प्रतिनिधि रचना ‘छांव सरीखी बेटी’ सुनाकर माहौल को सरस बना दिया।
उल्लेखनीय है कि राजूराम बिजारणियां राजस्थान की नई पीढ़ी के चर्चित कवि, चित्रकार और बाल साहित्य लेखक है। अनुवादक के रूप में भी उनकी विशिष्ट पहचान है। चाल भतूळिया रेत रमां के अलावा उनकी राजस्थानी में बाल कथाओं की किताब कुचमादी टाबर, हिंदी में कविता संग्रह झील नमक और कुरजां तथा पंजाबी से राजस्थानी में अनुवाद की एक पुस्तक झोकड़ी खावतो बगत प्रकाशित हो चुकी है। कार्यक्रम के दौरान रोटरी क्लब प्रान्तपाल राजेश चूरा ने सम्मानित अतिथियों को बधाई प्रेषित की। रोटरी क्लब अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता, रोटेरियन अरुण गुप्ता ने आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया। वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार डॉ. हरिमोहन सारस्वत, कवि कथाकार मदन गोपाल लढ़ा, सामाजिक सरोकार से जुड़ी आशा शर्मा,आलोचक डॉ.नीरज दइया, राजेंद्र जोशी, बुलाकी शर्मा, रवि पुरोहित, रामेश्वर सिंह सहित विभिन्न शब्द शिल्पी मौजूद रहे।

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