
नजरिया:राजनीति और हताश क़ानून व्यस्था





नजरिया
देशभर में जो राजनीतिक क्रम और टकराव चल रहा है उससे पूरा देश बहुत हताश है और बहुत परेशान है क्योंकि आने वाला जो समय है कुछ और ही नजर आ रहा है। इस स्थिति में आज देश को संभालना बहुत जरूरी है क्योंकि देश का संविधान और लोकतंत्र बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रहा है। इन दिनों जेएनयू में जो चल रहा ह। वो भारत की जनता को हजम नहीं हो रहा है। क्योंकि जिस तरह से नकाबपोश आते हैं और सारी कानून व्यवस्था को ताक पर रखकर जेएनयू के छात्रों के साथ मारपीट करके चले जाते हैं। उसमें जो लोग नकाबपोश थे उनके बारे में अभी तक किसी को कोई जानकारी नहीं है । कानून के दायरे से समझा जाए तो यहां कानून व्यवस्था पूरी तरीके से तोड़ी गई है। व्यवस्था तोड़ने वाले को पूरी तरह से प्रोत्साहित किया जाता है। इससे जो कानून व्यवस्था तोड़ते हैं कानून व्यवस्था को अपने हाथ में लेते हैं चाहे वह गौ रक्षा के नाम पर हो , राष्ट्रवाद के नाम पर हो और अलग कई बहानों से हमले करते हैं इस प्रकार कीैं कानून व्यवस्था संभालने वाली एजेंसियों पर लोगों का विश्वास उठ गया है। कानून व्यवस्था एक नाटक हो गया है जो कि वास्तविकता से परे है ।देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जेएनयू में यह नजारा दिख रहा है । नकाबपोश लोग कौन थे ? इसकी जानकारी सबको हो गई है। किसी ने सच कहा है “हकीकत छुप नहीं सकती खुशबू आ नहीं सकती बनावट के फूलों से सब जान चुके हैं ।सबसे बड़े दुख की बात यह है कि जिन का काम गुंडागर्दी के माहौल को समाप्त करना होता है वही इसको शह दे रहे हैं । ऐसा जताने की कोशिश की जा रही है कि जो भीड़ से अलग होकर सही बात कहेगा या जो अपनी बात रखेगा चाहे वह सही हो उसे गुंडों के हवाले कर दिया जाएगा। और ऐसा कुछ सालों में हो रहा है ।होना यह चाहिए था कि जो पुलिस एजेंसियां कानून व्यवस्था है पेशेवर रवैया अपनाएं उन्हें स्वतंत्रता दी जाए लेकिन उनको स्वतंत्रता नहीं दी जा रही है ।अपने काम के प्रति और कुछ चंद वर्षों में सरकार ऐसा करने को तैयार नहीं हो रही ।जहां जिस सरकार के हाथ में इसकी कमान है वह सरकार जो पुलिस एजेंसियां को अपने हिसाब से कार्य करवाने के लिए बाधित कर देती है और कानून व्यवस्था को ताक में रख देती है । आज के समय में कुछ राजनीतिक पार्टियां मीडिया और सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर गुमराह करता है सही को गलत गलत को सही बताते हैं । जो आज देश में हो रहा है।
जो लोग जनता के लिए सोचते हैं कि लोकतंत्र में अपनी सुविधाओं के लिए स्वतंत्रता के लिए मांग करते हैं तो उसे देशद्रोही के नाम पर बांट दिया जाता है।स्वतंत्र व्यक्ति अपनी इच्छा से आंदोलन करता है तो उसे गैंग कहकर उसे टुकड़ा टुकड़ा गैंग का नाम दिया जाता है । नाम पर बांट दिया जाता है। उसके सामाजिक राजनीतिक , धार्मिक जीवन पर गलत आरोप लगाकर कटाक्ष किया जाता है। बदनाम करने का प्रयास किया जाता है जिससे कि सच बोलने वाला डर जाए और झूठ सच बन जाए।
गेस्ट राईटर
नाग विंध्या खत्री
(पूर्व विधान सभा क्षेत्र)


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