
एक लेखक के लिए अनुभव, अवलोकन तथा कल्पना महत्वपूर्ण होती है – दुष्यंत







बीकानेर।बाफना स्कूल में आज एक दिवसीय लेखन कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस लेखन कार्यशाला में लेखक, गीतकार व फिल्म प्रोफेशनल दुष्यंत ने स्कूल विद्यार्थियों को “विद्यार्थी के जीवन में लेखक बनने की प्रक्रिया” विषय पर लेखन की बारीकियों से रूबरू कराया।
कार्यशाला में उन्होंने कहा कि लेखक बनने की यात्रा में लिखे जाने से पहले सोचे जाने की प्रक्रिया होती है जो कि लेखन की बुनियाद होती है। जो घटना या कहानी आप लिखना चाहते हैं, उसकी स्वयं की अपनी एक भाषा और पात्र होते हैं जिसे लेखक अपने अंतर्मन में महसूस करता है तथा अपनी कल्पना में उसे एक स्वरूप देता है। उन्होंने कहा कि लेखक के लिए यह जरूरी होता है कि वह पाठक को अज्ञात की ओर ले कर जाए। लेखक अपने पाठक को उस संसार में लेकर जाता है जिसे पाठक ने देखा या महसूस ही नहीं किया हो और जिसे जानकर वह रोमांचित हो उठे।
लेखन में भाषा, पात्र तथा रोमांचकता एक लेखक की करामात होती जो उसकी अपनी कल्पना से निकलती है। अच्छा लेखक अपने पाठक को लेखन के नयेपन के जादू से ओतप्रोत कराता है। कार्यशाला में उन्होंने विद्यार्थियों को लेखन की अनेक बारीकियों से रूबरू करवाया तथा एक लेखक के लिए अनुभव, अवलोकन तथा कल्पना को महत्वपूर्ण व जरूरी बताया।
स्कूल के सीईओ डॉ पीएस वोहरा ने बताया कि लेखन के क्षेत्र में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया जिससे वे लेखन की बारीकियों को समझ सके।
इस कार्यशाला में क्लास 9 वीं से बारहवीं तक के लगभग 150 विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में स्कूल प्रबंधन की ओर से डॉ वोहरा ने दुष्यंत का सम्मान और आभार प्रकट किया।


