
होलसेल भंडार की 13 दुकानों पर दवाओं का संकट,कार्मिकों के वेतन के पैसे भी नहीं






बीकानेर। राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) के तहत सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार बजट नहीं मिलने के कारण थोक विक्रेताओं ने दवाएं देने से मना कर दिया। कर्मचारियों का वेतन भी अटक गया है। सरकार में भंडार के साढ़े पांच करोड़ रुपए बकाया हो चुके हैं। भंडार की बिगड़ी माली हालत के कारण थोक विक्रेताओं ने दवाइयां देने से इंकार कर दिया है। ऐसे में उसे जयपुर की एजेंसी से दवाइयां मंगवानी पड़ रही है। भंडार की जिले में 13 दुकानों से राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स को आरजीएचएस के माध्यम से दवाइयों की आपूर्ति की जाती है।
भंडार की अधिकतर दवा दुकानों में दवाइयों की शॉर्टेज होने के कारण आरजीएचएस से जुड़े पेंशनर्स और कर्मचारी भी भंडार की दुकानों से किनारा करने लगे हैं। योजना के तहत सरकार ने पिछले साल दिसंबर में भंडार को 45 लाख रुपए दिए थे। उसके बाद एक पैसा नहीं दिया। भंडार की दुकानों से रोजाना करीब 30 लाख की बिक्री होती है।
तीन महीने से नहीं मिली तनख्वाह
कर्ज तले दबे बीकानेर सहकारी उपभोक्ता भंडार ने अपने कर्मचारियों और फार्मासिस्ट को पिछले तीन माह से तनख्वाह भी नहीं चुकाई है। जिले में भंडार की प्रत्येक दुकान में एक-एक फार्मासिस्ट और हेल्पर कार्यरत है। दवा दुकानों के साथ-साथ भंडार के दो सेंट्रल स्टोर और जनरल स्टोर भी हैं, जिनके माध्यम से जनरल उत्पादों की बिक्री होती है।
ऐसे तो डूब जाएगी सहकारिता
सहकारिता भंडार के साथ सरकार दोगलापन व्यवहार कर रही है। निजी फार्मा कंपनियों को नियमित भुगतान किया जा रहा है, उनके यहां करोड़ों रुपए की हेराफेरी के मामले सामने आ रहे हैं। भंडार का काम पारदर्शी होने के बावजूद उसके साढ़े पांच करोड़ रुपए सरकार ने रोक रखे हैं। कर्जे के कारण भंडार के कर्मचारियों को तनख्वाह भी नहीं दे पा रहे हैं। सरकार को पत्र लिखा है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही।


