
छात्रसंघ चुनाव में खत्म हो लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें तीन खेमों में बंटी कांग्रेस, कुलपति से ज्यादा शिक्षा मंत्री का दखल






जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद छात्र संघ चुनाव में सांसद हनुमान बेनीवाल की एंट्री हो गई है। राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र नेता लगातार सांसद बेनीवाल से मीटिंग कर उनके समर्थन लेने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जिसमें निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ एनएसयूआई की प्रत्याशी रितु बराला भी शामिल है। मंगलवार रात दोनों प्रत्याशियों ने सांसद बेनीवाल से मुलाकात कर उनसे समर्थन मांगा। इस दौरान बेनीवाल ने भी दोनों को लड्डू खिलाकर जीत का आशीर्वाद दिया। हालांकि अब तक बेनीवाल ने अधिकृत रूप से किसी भी एक प्रत्याशी को समर्थन नहीं दिया है।
अभी तक किसी को नहीं दिया समर्थन
राजस्थान यूनिवर्सिटी में किसी भी जाति या संप्रदाय की राजनीति करना मुश्किल है। यहां सभी समुदाय के लोग पढ़ते हैं। यहां के स्टूडेंट्स सबसे ज्यादा समझदार हैं। लेकिन हमारे वक्त भी एससी और एसटी के वोट निर्णायक होते थे। इस बार भी जिस भी प्रत्याशी के साथ एसटी और एससी के वोट होंगे, उसकी जीत आसान हो सकती है। जो भी स्टूडेंट मेहनत करेगा यह लोग उसी के साथ होगे।
हमारी सरकार बनी तो खत्म करेंगे लिंगदोह की सिफारिश
हमारे वक्त प्रत्याशी लगातार चुनाव लड़ सकता था। उस वक्त जो भी चुनाव हारता था। उसके बाद उसकी जीत होती थी। लेकिन लिंगदोह कमेटी की सिफारिश लागू होने के बाद छात्र सिर्फ एक बार ही चुनाव लड़ सकता है। जो पूरी तरह गलत है। अगर हमारी सरकार बनी तो हम लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को खत्म कर देंगे।
कुलपति से ज्यादा शिक्षा मंत्री का दखल
छात्र राजनीति पूरी तरह बदल गई है। हमारे वक्त राज्यपाल कुलाधिपति होते थे। यूनिवर्सिटी में उन्हीं का दखल रहता था। लेकिन पिछले कुछ वक्त में यूनिवर्सिटीज में शिक्षा मंत्री का दखल बढ़ गया है। जो पूरी तरह गलत है। शिक्षा मंत्री यूनिवर्सिटी के अधिकारियों और कर्मचारियों पर दबाव बनाकर अपनी पार्टी के पक्ष में काम कराने की कोशिश करते हैं। जो पूरी तरह गलत है।
छात्रसंघ चुनाव में तीन खेमों में बंटी कांग्रेस
राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से अपनी पार्टी नहीं संभाली जा रही है। छात्रसंघ चुनाव में ही कांग्रेस 3 खेमों में बट गई है। एक तरफ एनएसयूआई की उम्मीदवार चुनाव लड़ रही है। जिसके साथ कुछ कांग्रेसी है। वहीं दूसरी तरफ मंत्री जी की बेटी चुनाव लड़ रही है। जिसके लिए भी कांग्रेस के कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। वहीं तीसरी तरफ एक निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रहा है। जिसके समर्थन में कांग्रेसी विधायक काम कर रहे हैं। लेकिन हमारे यहां कोई भी खेमेबाजी नहीं है। जो भी छात्र हमारे पास आ रहा है हम उसे पूरा आशीर्वाद दे रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है छात्र उसे ही चुनाव जीत आएंगे जो लगातार उनके बीच रहकर संघर्ष करता आया है।


