
CMHO की कुर्सी पर नहीं जमेगा अंगद का पांव ! चिकित्सा विभाग ने जिला मुखियों की पोस्टिंग के लिए बनाए नियम






खुलासा न्यूज़ , बीकानेर । जिलों में चिकित्सा महकमे की कमान संभालने वाले डॉक्टर अब “मुखिया” की कुर्सी पर बरसो तक जमे नहीं रह पाएंगे. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी यानी CMHO के पद पर एकबार में अधिकतम तीन साल ही चिकित्सक सेवाएं देंगे.यदि किसी चिकित्सक की सेवाएं उत्कृष्ठ होगी तो भी उसे तीन साल के अंतराल के बाद ही सीएमएचओ लगाया जाएगा. आखिर क्या है चिकित्सा विभाग की इस कवायद की मंशा और चिकित्सा सेवाओं के सुधार में ये कैसे होगी कारगर,
चिकित्सा विभाग में CMHO के पद पर पिछले लम्बे समय से राजनीति हावी है. हालात इतने गंभीर थे कि जिस चिकित्सक की पहुंची ऊंची होती, उसे बगैर कोई योग्यता जांचे जिले में मुखिया की कमान सौंप दी जाती. ऐसे में अधिकांश जिलों में चिकित्सक की वरिष्ठता ही गौण हो गई. कई बरसों तक जूनियर सीएमएचओ के नीचे कई वरिष्ठ चिकित्सकों को काम करना पड़ रहा था. लेकिन जब ये मामला चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा के संज्ञान में आया तो विभाग में शुरू हुई सुधार की कवायद. इसके तहत पहले जहां CMHO पद के लिए योग्य चिकित्सकों को सूचीबद्ध किया गया. इस कवायद के बाद करीब दो दर्जन CMHO की छुट्टी हो गई और वरिष्ठता के आधार पर योग्य चिकित्सकों को जिम्मेदारी मिली. लेकिन इस कवायद के बाद जब फिर से राजनीतिक दबाव शुरू हुआ तो चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा के निर्देश पर विभाग ने CMHO के पद पर एकबार में अधिकतम तीन साल का कार्यकाल तय किया है.
चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा के पिछले दिनों में लिए गए निर्णय पूरे विभाग में चर्चा का विषय है .फिर चाहे वो एक ही आदेश में दो दर्जन से अधिक जिलों में मुखिया बदले से जुड़ा हो या फिर सीएमएचओ पद पर राजनीति दखल को समाप्त करने के लिए कार्यकाल तय करने का सख्त फैसला हालांकि, अब देखना ये होगा कि विभाग के ये सख्त और सुधारात्मक आदेश कब तक एक्टिव मोड में रहेंगे.


