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29 जुलाई से बृहस्पति चलेगा उल्टी चाल, दिखाई देगा स्थिर

देव गुरु बृहस्पति 29 जुलाई 22 से 24 नवंबर 22 तक 117 दिन तक वक्री रहेंगे। इस दौरान राशि परिवर्तन नहीं करेंगे। ज्योतिष क्षेत्र में गुरू का वक्री होना नीति-रीति, ज्ञान-विज्ञान, नैतिक-राजनीतिक विदेश- नीति, शिक्षा-नीति के क्षेत्र में बड़े परिवर्तन एवं सुधार का कारक होगा।
ज्योतिर्विद भरत कुमार खंडेलवाल ने बताया कि 47 हजार किमी प्रति घंटा की चाल से चलने वाले बृहस्पति 29 जुलाई सुबह 2.05 पर आकाश में एक जगह रुके हुए दिखाई देंगे। पृथ्वी से बृहस्पति की गति शुन्य दिखाई देगी। इसके बाद पिछली राशि की और गति रहेगी। वस्तुत: इसकी गति पृथ्वी के सापेक्ष शून्य दिखाई देगी। इस वक्र गति के दौरान गुरू के प्रभाव आकर्षण शक्ति एवं इसकी चमक तीनों ही चौगुनी बढ़ जाएगी । गुरु का वक्री रहना ज्ञान-विज्ञान, कला-साहित्य अर्थव्यवस्था जनमानस के लिए सकारात्मक एवं सुधारात्मक रहेगी। अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। विकास द्रुतगति से होगा।
सबसे भारी ग्रह
गुरु ग्रह से सभी ग्रहों से ढाई गुना से अधिक भारी है। पृथ्वी से लगभग सवा दो सौ गुना अधिक भारी होने से यह समस्त ग्रहों को अपने गुरुत्वाकर्षण से बांधे रखता है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु के बलवान होने पर उत्तम शिक्षा दीक्षा संबंध विवाह दांपत्य जीवन वृत्तिका एवं श्रेष्ठ जीवन बन जाता है। वहीं गुरु के कमजोर अस्त नीच होने पर शैक्षणिक अपूर्णता संबंध विवाह में बाधा वृत्तिका रोजगार का अभाव एवं जीवन आश्रित बन जाता है।
आकाश में साक्षात शनि गुरु मंगल शुक्र के दर्शन करें
खुली आंखों से पूर्व दिशा में रात्रि 9 बजे से शनि 11 बजे से गुरु रात्रि 1 बजे से मंगल तथा 3.30 से भोर का तारा शुक्र दिखाई देगा जो कतार बंद होंगे। जिनके प्रात: 6 बजे तक दर्शन कर सकेंगे। 27-28 जुलाई को इनके साथ चन्द्रमा के भी दर्शन कर सकेंगे।

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