क्या छोटे बच्चों को मंकीपॉक्स से ज्यादा खतरा है? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

क्या छोटे बच्चों को मंकीपॉक्स से ज्यादा खतरा है? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

नई दिल्ली। दुनिया के 71 से ज्यादा देशों में फैल चुके मंकीपॉक्स वायरस का खतरा अब बढ़ता नजर आ रहा है. कुछ ही महीनों में इस वायरस के 16 हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं.

देश में केरल में तीन और दिल्ली में एक मरीज में मंकीपॉक्स की पुष्टि हो चुकी है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि छोटे बच्चों को इस वायरस से खतरा होने की आशंका है. क्योंकि बच्चों को स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन नहीं लगी है और इनकी इम्यूनिटी भी कम होती है.

1980 में स्मॉलपॉक्स का दुनियाभर से खात्मा हो गया था. उसके बाद ये वैक्सीन किसी को भी नहीं लगी है. चूंकि बच्चों में पॉक्स से संबंधित किसी भी बीमारी का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य की विशेष देखभाल करने की जरूरत है. बच्चों में मंकीपॉक्स के खतरे के बारे में सफदरजंग अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. जुगल किशोर कहते हैं कि मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रामक बीमारी है, जिसके कई लक्षण चेचक की तरह ही हैं. ऐसे में जिन लोगों को चेचक का टीका नहीं लगा है. उन्हें इससे खतरा हो सकता है.

कमजोर इम्यूनिटी वाले रहें सतर्क

चूंकि बच्चे हाइजीन का ध्यान नहीं रख पाते हैं और उन्हें वायरस से बचाव के बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं है. ऐसे में बच्चों को संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है. ऐसे में माता-पिताको भी अपने बच्चों के साथ सावधानी बरतने की आवश्यकता है. अगर घर में बच्चे छोटे हैं, तो अभिभावकों को बाहर ध्यान देना होगा कि वे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें. जिन बच्चों को इम्यूनिटी कम है और जिन् बच्चों को हार्ट, डायबिटीज और अन्य कोई गंभीर बीमारी है उन्हें भी सतर्क रहने की जरूरत है

मंकीपॉक्स के मरीज में हैं हल्के लक्षण

दिल्ली के लोक नायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि मंकीपॉक्स का जो मरीज अस्पताल में भर्ती हुआ है. उसमें इस वायरस के लक्षण हल्के हैं. मरीज का बुखार भी उतर गया है. हालांकि उससे शरीर के कई हिस्सों में रैशेज हैं. अभी मरीज की जांच की जा रही है और डॉक्टरों की निगरानी में उसका इलाज चल रहा है.

अब तक पांच लोगों की हुई है मौत

विशेषज्ञों का कहना है कि मंकीपॉक्स भले ही तेजी से फैल रहा है , लेकिन इसमें मौतों के मामले काफी कम है. अफ्रीका में पांच लोगों ने इससे जान गवाई है, जबकि वैश्विक स्तर पर 75 देशों में इसके 16 हजार से अधिक मामले मिले हैं. ये वायरस तेजी से फैल रहा है, लेकिन इससे शरीर के अंगों को नुकसान नही पहुंच रहा है.

 

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