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प्रवेशोत्सव पर ध्यान नहीं, शिक्षकों को ट्रांसफर पर जोर

निखिल स्वामी की रिपोर्ट
बीकानेर. शिक्षा विभाग की ओर से एक तरफ प्रवेशोत्सव चल रहा है। बच्चों को सरकारी स्कूलों से जोड़ने के लिए गांव-गांव और ढाणी-ढाणी में सर्वे चल रहा है। लेकिन धूम-धड़ाका कहीं नजर नहीं आ रहा है। दूसरी तरफ शिक्षकों के तबादले की चिंता है। ऐसी स्थिति में शिक्षक का पूरा ध्यान अपनी मनमर्जी के विद्यालय में तबादला करवाने और जमे हुए शिक्षक अपना तबादला नहीं होने के प्रयास में लगे है। हालांकि सरकार ने अभी तबादलों की तारीख घोषित नहीं की है। इनदिनों विधायक, मंत्री व कांग्रेस जिलाध्यक्ष व वरिष्ठ नेताओं के घरों व मिलने वालों की भीड़ है। इनमें शिक्षक, व्याख्याता और प्रिंसिपल तक शामिल है। तबादलों के लिए नियमानुसार किसी डिजायर की जरूरत नहीं है। लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। कुछ शिक्षक अपनी पहुंच के अनुसार डिजायर लिखवाकर ले जा रहे है और कुछ अपना नाम विधायकों की ओर से भेजे वाली सूची में लिखवाकर आ रहे है। इस बार बिना विधायक की स्वीकृति के किसी भी शिक्षक को उस ब्लॉक में नहीं भेजा जा रहा है।

डिजायर कराने में लगे हैं शिक्षक
शिक्षा विभाग में शिक्षक अपना तबादला कराने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से सम्पर्क कर रहे हैं तो कहीं सीधे ही विधायकों से तबादलों के लिए बात कर रहे है। हालांकि जिले में शिक्षामंत्री ही बीकानेर के है और ऊर्जा मंत्री व आपदा प्रबंधन मंत्री भी बीकानेर के है। ऐसे में इन मंत्रियों के लिए इनके क्षेत्र के लोग भी शिक्षक डिजायर लिखवाने में लगे है। कुछ लोग जो अपने आप को विधायक व मंत्री के खास है वे इन दिनों तबादलों की जिम्मेदारी लेकर गारंटी ले रहे है। इसके लिए शिक्षक उनसे सम्पर्क कर रहे है। शिक्षकों ने बताया कि तबादलों के तरीके तय नहीं है। यदि किसी भी व्यक्ति को एक जिले से दूसरे जिले में आने का तरीका अलग है। बिना किसी विधायक की मर्जी के किसी शिक्षक का तबादला नहीं हो सकता है। तबादलों में किसी की समस्या नहीं राजनीति में पहुंच देखी जा रही है। हालांकि कई लोग तो अपने घर की समस्या व माता-पिता की सेवा करने का बहाना तक बना रहे है।

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