राजस्थान हो सकता है ब्लैक आउट!:छत्तीसगढ़ में राजस्थान के कोयला माइंस प्रोजेक्ट पर रोक,

राजस्थान हो सकता है ब्लैक आउट!:छत्तीसगढ़ में राजस्थान के कोयला माइंस प्रोजेक्ट पर रोक,

जयपुर ।  मानसून आने के साथ बिजली घरों के लिए कोयले का संकट शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ से कोयले की सप्लाई बाधित होने लग गई है। वहीं, राजस्थान के आधे पावर प्लांट्स में एक सप्ताह से भी कम का कोयला बचा है। कोयले की पूरी सप्लाई नहीं मिली तो ये प्लांट ठप हो सकते हैं। 5 पावर प्लांट यूनिट पहले से ही तकनीकि कारणों से बंद पड़ी हैं। इनमें सूरतगढ़ की 250-250 मेगावट की दो यूनिट, सूरतगढ़ की सुपर क्रिटिकल 660 मेगावट की यूनिट, छबड़ा की 250 मेगावाट यूनिट और कोटा थर्मल की 210 मेगावट की एक यूनिट शामिल है। 1620 मेगावाट प्रोडक्शन बंद है। कोयला संकट जारी रहा तो 4340 मेगावाट के प्लांट और ठप हो जाएंगे। इससे कुछ ही दिनों में राजस्थान में ‘ब्लैक आउट’ के हालात पैदा हो सकते हैं।
सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट।

राजस्थान में कोल बेस्ड पावर प्लांट यूनिट्स की कुल कैपेसिटी 7580 मेगावाट है। इनमें से 3240 मेगावाट के प्लांट कोल इंडिया कोयला सप्लाई लेते हैं। जबकि 4340 मेगावाट प्लांट राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RVUNL) को छत्तीसगढ़ में अलॉट कोयला माइंस से कोयले की सप्लाई ट्रेनों की रैक से मिलती है। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने RVUNL के 3 माइंस प्रोजेक्ट- परसा कोल ब्लॉक, परसा ईस्ट और कांते बासन के सेकेंड फेज और कांते एक्सटेंशन कोयला माइंस में काम पर जून महीने से रोक लगा दी है।

कोल माइंस एरिया।

जबकि पहले से चल रही माइंस को मंजूरी है। अब मानसून पीरियड में बारिश के कारण कोयला निकालने और सप्लाई का काम धीरे हो गया है। मौजूदा माइंस में कोयला भी बहुत कम बचा है। प्रस्तावित तीनों माइंस प्रोजेक्ट को केन्द्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार से बड़ी मुश्किलों से राजस्थान सरकार ने मंजूरी दिलाई थी।

परसा कोल माइंस प्रोजेक्ट का विरोध करते स्थानीय लोग,NGO और आदिवासी।

इसलिए लगी रोक

छत्तीसगढ़ के सरगुजा के हसदेव फॉरेस्ट (अरण्य) में माइंस से कोयला निकालने के लिए पेड़ों की कटाई की जा रही है। पेड़ काटने से स्थानीय आदिवासी और NGO भड़के हुए हैं। परसा और कांते बासन एक्सटेंशन कोल ब्लॉक घना जंगल होने के साथ गेज और चरनोई नदी का जलग्रहण क्षेत्र भी है। दोनों नदियां हसदेव की सहायक नदी हैं। जंगल कटने से हाथियों,जंगली जानवरों और लोगों के बीच टकराव बढ़ने की बात कही जा रही है। स्थानीय विरोध के बीच राजनीति भी हो रही है।

प्रदर्शनकारी लोगों को स्थानीय विधायक और मंत्री टीएस सिंहदेव और कांग्रेस सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत के समर्थन के कारण सरकार को माइंस का काम रोकना पड़ा। सांसद महंत ने जंगल की जैव विविधता को नुकसान बताते हुए केन्द्र सरकार से माइंस की परमिशन कैंसल करने की मांग भी कर दी है। केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्री अश्विनी चौबे को ज्ञापन सौंपा है। साथ ही कहा कि 2010 में यूपीए सरकार ने भी घने जंगल क्षेत्र को नोगो एरिया घोषित किया था। अपने मंत्री के विरोध के कारण छत्तीसगढ़ CM भूपेश बघेल ने कहा कि अगर मंत्री ऐसा नहीं चाहते हैं, तो एक भी पेड़ की शाखा नहीं काटी जाएगी। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सहमति के बिना प्रोसेस को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।

छत्तीसगढ़ CM भूपेश बघेल और राजस्थान CM अशोक गहलोत की पिछली मुलाकात।

अब भागदौड़ कर रही राजस्थान सरकार

राजस्थान सरकार के निर्देश पर राजस्थान डिस्कॉम के प्रमुख सचिव भास्कर ए सावंत और उत्पादन निगम के CMD राजेश कुमार शर्मा सहित सीनियर अफसरों ने छत्तीसगढ़ सरकार और प्रशासन तक भागदौड़़ शुरु कर दी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी और मुख्य सचिव उषा शर्मा छत्तीसगढ़ सरकार से लगातार बातचीत कर रहे हैं। गहलोत खुद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मुलाकात करके आ चुके हैं। दो-तीन बार टेलीफोन पर भी बातचीत कर माइंस को मंजूरी दिलवाई गई है। अब काम पर लगी रोक ने फिर से प्रदेश सरकार की चिन्ताएं बढ़ा दी हैं। कोयला संकट के बीच सरगुजा पहुंचकर प्रमुख सचिव भास्कर ए सावंत और RVUNL के CMD राजेश कुमार शर्मा ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन, CM भूपेश बघेल के सचिव, DGP अशोक जुनेजा, प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट आरके चतुर्वेदी, सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा, SP भावना गुप्ता से मुलाकात कर माइंस एरिया में जल्द काम शुरु करवाने और लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन रखने की अपील की है।

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