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शिमला में कवि बिजारणियां ने विस्थापन से जुड़ी कविता सुनाई तो उपस्थितजनों की नम हो गई आँखें

खुलासा न्यूज़ लूणकरणसर बीकानेर संवाददाता लोकेश कुमार बोहरा।
साहित्यकार राजूराम बिजारणियां ने किया राजस्थान का प्रतिनिधित्। अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव शिमला में राजस्थानी कविता में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे लूणकरणसर क्षेत्र के कवि राजूराम बिजारणियां ने जब विस्थापन से जुड़ी यह कविता सुनाई तो उपस्थितजनों की आँखें नम हो उठी। वहीं विस्थापितों का दर्द आकार ले उठा। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, साहित्य अकादमी, दिल्ली और हिमाचल सरकार के भाषा और संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शिमला में आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में बिजारणियां ने ‘छाँव सरीखी बेटी’ कविता के साथ-साथ ‘घर खड़ा है माँ के कन्धों पर’ और ‘जब-जब आता था स्टूडियो वाला’ कविता सुनाकर राजस्थानी रंग से सबको रूबरू करवाया। गौरतलब है इस आयोजन में 15 देशों के 450 से अधिक साहित्यकारों, कलाकारों, अभिनेताओं और संगीतकारों ने हिस्सा लिया।
शिमला के रिज़ एरिया स्थित गेयटी थियेटर के टवेर्न हॉल में आयोजित इस सत्र की अध्यक्षता बांग्ला के नामी कवि सुबोध सरकार ने की। हिंदी कवि अग्निशेखर, अंग्रेजी कवि मुकुल कुमार, सिंधी कवि मनोज चावला सहित विभिन्न भाषी कवियों ने मंच साझा किया। इस अवसर पर बिजारणियां ने कहा कि कविता हमारे समय का जीवंत दस्तावेज है, राजस्थानी सहित भारतीय भाषाओं की कविता में देश का मन मुखरित होता है। सत्र के दौरान राजस्थानी के नामी कवि आलोचक डॉ.अर्जुन देव चारण, राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के समन्वयक व प्रसिद्ध साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी, कहानीकार अरविंद सिंह आशिया, कवि कहानीकार मदन गोपाल लढ़ा, कहानीकार राजेंद्र जोशी सहित प्रदेश के कई रचनाकर्मियों ने शिरकत की।

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