बीकानेर के एक वरिष्ठ नागरिक ने माँगी ईन्छा मृत्यु, सीएम को पत्र लिख बताई ये वजह

बीकानेर के एक वरिष्ठ नागरिक ने माँगी ईन्छा मृत्यु, सीएम को पत्र लिख बताई ये वजह

खुलासा न्यूज़, बीकानेर । बीकानेर के एक वरिष्ठ नागरिक भगवान दास स्वामी ने ईन्छा मृत्यु माँगी है । इस बारे में उन्होंने सीएम को पत्र लिखा है । इस पत्र में उन्होंने सीएम से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है।मामला वरिष्ठ नागरिक संरक्षण एवं कल्याण कल्याण अधिनियम 2007 पर माननीय सुप्रीम कोर्ट •द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अन्तर्गत वरिष्ठ नागरिक की सहायता करने से जुड़ा हुआ है ।

क्या लिखा है पत्र में .. 

68 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक दि. 31-3-2013 से रेलवे श्रमिक सहकारी बैंक लि. बीकानेर राज. ( DRM office) से सेवानिवृत कर्मचारी हैं, बुढ़ापे में जीवन व्यापन तथा सामाजिक सुरक्षा के लिए पेंशन नहीं मिलती, और ग्रेच्युटी जप्त करने का दण्ड राजस्थान CCA नियम 1958 में दे दिया। आर्थिक डिप्रेशन दिनांक 25-9-2015 से हार्ट 90% ब्लॉकेज है।

बैंक मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर पिछले 10 वर्षों से तानाशाह आशीष अग्रवाल कब्जा कर रखा है, जो पिछले 9 वर्षों दुर्भावना (Bias) से प्रभावित होकर वरिष्ठ नागरिक को तडफा-तडफा कर मार रहा, इसी क्रम में प्रार्थी के विरुद्ध राजस्थान सिविल सर्विसेज वर्गीकरण कन्ट्रोल एवं अपील अप्रकाशित नियम 1968 के नियम 16 के अनुसार या औधोगिक विवाद अधिनियम की धारा 11 के अनुसार विभागीय जाँच में दोषी मानकर प्रार्थी को राजस्थान सिविल सर्विसेज वर्गीकरण, कन्ट्रोल एवं अपील नियम 1958 के नियम 16 का हवाला देकर ग्रेच्युटी जप्त करने का ऐसा दण्ड दि. 26-4-2014 को दिया जो नियमों में वर्णित ही नहीं है।

राजस्थान सिविल सर्विसेज वर्गीकरण कन्ट्रोल एवं अपील नियम 1958 में दण्ड देने प्रक्रिया का ज्ञान राजस्थान सरकार के सभी न्यायाधीशो व अधिकारियों को भलीभांति है: -भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के अनुसार बनाये इन नियमों अक्षर्त: पालन करना अनिवार्य है। प्रार्थी के विरुद्ध जिन अभिलेखो के आधार पर आरोप पत्र बनाया वे अभिलेख नहीं दिए, जाँच अधिकारी द्वारा प्रार्थी को दोषी ठहराये जाने की जाँच रिपोर्ट मय निष्कर्षो नहीं दी व प्रार्थी नुकसान राशि की वसूली करली परन्तु नुकसान राशि का आंकलन का आधार प्रार्थी को नहीं बताया, जिसकी जानकारी प्राप्त करना प्रार्थी का मौलिक अधिकार है । अत: तानाशाह आशीष अग्रवाल को 91 CRPC का नोटिस देकर निम्नलिखित अभिलेख सात दिन में वरिष्ठ नागरिक को दिलवाने का कष्ट करें।

1. जिन अभिलेखों के आधार पर आरोप पत्र बनाया उनकी प्रतियां प्रार्थी को बचाव हेतु आशीष अग्रवाल ने देने से इनकार कर दिया, जो काशीनाथ दीक्षित (AIR 1986 SC 2118) एवं भगतराम ( AIR 1974 SC 2335) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर न्याय के प्राकृतिक सिद्धांतों की अवहेलना है ।

 

2. सेवानिवृत्ति के बाद प्रार्थी के विरुद्ध राजस्थान सिविल सर्विसेज वर्गीकरण कन्ट्रोल एवं अपील नियम 1968 के नियम 16 में एकपक्षीय जाँच कर दण्डित किया, • जिसका प्रकाशन राज्यपाल ने नहीं करवाया। अतः नियम 1968 की प्रति दिलवाए। 3. राजस्थान सिविल सर्विसेज वर्गीकरण कन्ट्रोल एवं अपील नियम 1958 के नियम 16 के अनुसार “प्रार्थी को देय ग्रेच्युटी राशि मेंसे वसूली करने का दण्ड नहीं दिया जा सकता।” लेकिन तानाशाह आशीष अग्रवाल ने वरिष्ठ नागरिक को तडफा-तडफा कर मारने के उद्देश्य से प्रार्थी की देय ग्रेच्युटी जप्त करने का दण्ड किस नियम से दिया, उस नियम की प्रमाणित प्रति दी दिलवाये। 4. राजस्थान सरकार की अनुशासन कार्यवाहियों की पुस्तिका 1963 में पैरा नम्बर 19 निम्नवत: है: यदि कोई दोषारोपित कर्मचारी जाँच आरम्भ होने से पूर्व या उसके चालू रहने के दौरान सेवानिवृत्त हो जाता है तो राजस्थान सिविल सर्विसेज वर्गीकरण, कन्ट्रोल एवं अपील नियम 1958 के अन्तर्गत, तो उसके विरुद्ध • कोई दण्ड की कार्यवाही नहीं की जा सकती।” (पृष्ठ 177 नईCCA) माननीय सुप्रीम कोर्ट ने Jaswant Singh Gill -vs- Bharat Coal India 2007 (1) SCC 663. (पृष्ठ 177 नई) के निर्णय में निम्न सिद्धांत प्रतिपादित किया: “अगर कर्मचारी को सेवानिवृत्त होने की अनुमति दी गई तो उसके पश्चात वृहद् शास्ति आरोपित नहीं की जा सकती क्योंकि जाँच पूर्ण करने के लिए सेवावधि बढाई नहीं गई थी।” अतः तानाशाह आशीष अग्रवाल ने प्रार्थी को दि. 30-3-2013 को सेवानिवृत करने के पश्चात जाँच अधिकारी से एकपक्षीय जाँच करवाकर वृहद् शास्ति (दण्ड) किस नियम दिया उसकी प्रमाणिक सबूत दिलवाए। 5. जाँच अधिकारी ने एकपक्षीय जाँच में प्रार्थी दोषी ठहराया, न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत की पालना में तानाशाहआशीष अग्रवाल ने जांच रिपोर्ट प्रार्थी को नहीं दी जिसके बिना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी दण्ड नहीं दे सकते। (Renu vs- District & Session Judge, TIS Hazari AIR 2014 SC 2175 ) ( cca पृष्ठ 24 नई ) 6. तानाशाह आशीष अग्रवाल ने 18 झूठे लांछनो के आधार पर नुकसान (क्षति) राशि की वसूली प्रार्थी की जमा सिक्युरिटी राशि से करने के बजाय प्रार्थी को दिनांक 26 4-2014 देय ग्रेच्युटी से बिना आधार के मनचाही वसूली कर ली। तानाशाह आशीष अग्रवाल ने प्रार्थी से वसूली गई राशि निर्धारण/ आंकलन किस आधार पर किया, का हिसाब नैचरल जस्टिस के अनुसार दिलवाए जिसे प्रार्थी प्राप्त करने का मौलिक अधिकार है। (Niranjan Singh Sen-vs- State of Rajasthan 2013 WLC (Raj.)UC547 ) (cca पृष्ठ 119 नई) में माननीय न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर किसी भी कर्मचारी से वसूली केवल उसके द्वारा अवचार की स्वीकृति के आधार पर नहीं की जा सकती। ऐसी वसूली के पूर्व तथ्यों • की समीक्षा कर उचित निष्कर्ष निकाल कर ही की जा सकती है।” 7. प्रार्थी ने सिक्योरिटी राशि की 30 किस्ते रुपये 3650/ की दिनांक 30-11-2010 से 30-4-2013 रेलवे श्रमिक सहकारी बैंक को अदा कर दी लेकिन 27-5-2013 •को प्रार्थी को 29 किस्त का भुगतान किया एक किस्त का भुगतान नहीं किया। माननीय महोदय जी वरिष्ठ नागरिक के जीवन में पिछले 9 वर्षों से आर्थिक रूप से अस्थिरता है, डिप्रेशन से और नहीं लड़ सकता, मौजूदा शासनकाल में वरिष्ठ नागरिक को न्याय की उम्मीद नहीं है, वरिष्ठ नागरिक केवल अपनी मौत की उम्मीद कर रहा है। वरिष्ठ नागरिक 9 वर्षों से चक्कर लगाते लगाते हार चुका है, अब वरिष्ठ नागरिक को केवल ईच्छा मृत्यु की जरूरत है, जिसकी उम्मीद वरिष्ठ नागरिक कर रहा है। अतः वरिष्ठ नागरिक माननीय महोदय से करबद्ध अनुरोध करता है कि आप पर लागू राजस्थान सिविल सर्विसेज वर्गीकरण, कन्ट्रोल एवं अपील नियम 1958 को पढकर उपरोक्त जाँच रिपोर्ट मय निष्कर्षों के दिलवाने के लिए तानाशाह आशीष अग्रवाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेलवे श्रमिक सहकारी बँक लिमिटेड बीकानेर राजस्थान ( DRM Office कैम्पस) के विरुद्ध 91 CRPC का नोटिस देकर कानूनी कार्यवाही करके नैसर्गिक न्याय की अनुपालना में प्रार्थी को उपरोक्त अभिलेख व सिक्योरिटी राशि रुपये 3650/- का भुगतान अविलम्ब दिलवाए, यदि कानून के अनुसार वरिष्ठ नागरिक सहायता सम्भव नहीं हो तो ईच्छा मृत्यु दण्ड देने की अनुमति प्रदान करें। क्योंकि वरिष्ठ नागरिक पिछले 9 वर्षो न्याय के लिए इधर उधर भटकते भटकते थक गया। रसूखदार अधिकारी संवैधानिक नियम के बजाय व्यक्तिगत लाभ के घरेलू नियम का उपयोग करते हैं।

 

 

 

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