
व्रत-उपवास: निर्जला एकादशी पर क्या करें और क्या न करें






शुक्रवार, 10 जून को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस साल निर्जला एकादशी की तारीख के संबंध में पंचांग भेद हैं। कुछ जगहों पर 11 जून को किया जाएगा। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का महत्व साल भर की सभी एकादशियों में सबसे अधिक है। अन्य एकादशियों में तो व्रत करने वाले फलाहार कर सकते हैं, लेकिन इस एकादशी में जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। ये तिथि तब आती है, जब गर्मी अपने चरम पर होती है और इस तिथि पर निर्जल रहकर व्रत किया जाता है। इस कारण ये व्रत एक तपस्या की तरह ही है।
ऐसे कर सकते हैं विष्णु जी की पूजा
- स्नान के बाद घर के मंदिर में गणेश पूजन करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र, गंध, फूल, चावल, दूर्वा, भोग आदि चीजें चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
- गणेश पूजा के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। विष्णु जी और देवी लक्ष्मी का आवाहन करें। भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को आसन दें। दोनों देवी-देवता को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और फिर जल से कराएं।
- भगवान को वस्त्र अर्पित करें। आभूषण और फिर यज्ञोपवित (जनेऊ) पहनाएं। पुष्पमाला पहनाएं। देवी को लाल वस्त्र अर्पित करें। सुगंधित इत्र अर्पित करें। तिलक करें। तिलक के लिए अष्टगंध का प्रयोग करें।
- धूप-दीप जलाएं। तुलसी दल के साथ मिठाई का भोग लगाएं। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक जलाएं। आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें। पूजा में विष्णु मंत्र का जप करते रहें। मंत्र – ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय।
निर्जला एकादशी पर क्या-क्या करें
निर्जला एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को पूरे दिन निर्जल रहकर व्रत करना चाहिए। एकादशी पर स्नान के बाद भगवान के सामने व्रत करने का और पूजन करने का संकल्प लें। भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य करें। किसी प्याऊ में जल कलश का दान करें। जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें। इस तरह ये व्रत पूरा होता है।
निर्जला एकादशी पर क्या-क्या न करें
निर्जला व्रत करने वाले व्यक्ति को अपवित्रता से बचना चाहिए। घर में गंदगी न रखें। घर में क्लेश न करें। अगर व्रत कर रहे हैं तो दिन भर जल की एक बूंद भी ग्रहण न करें। जो लोग बीमार हैं, वृद्ध हैं, कोई स्त्री गर्भवती है या कोई अन्य शारीरिक परेशानी है तो इतना मुश्किल व्रत करने से बचना चाहिए। इस तिथि पर व्रत करने वाले व्यक्ति अगर एक बूंद भी पानी पी लेते हैं तो व्रत भंग हो जाता है।


