
कितनी जमीन मिलेगी, प्लानिंग कैसे होगी, गहलोत सरकार ने किया ऐतिहासिक फैसला






जयपुर: लागू मास्टर प्लान के मुताबिक प्रदेश के शहरी लोगों को पार्क, ओपन स्पेस, खेल का मैदान, स्टेडियम, हरित क्षेत्र सहित विभिन्न जन सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अशोक गहलोत सरकार ने ऐतिहासिक फैसला किया है. इस फैसले से इन सुविधाओं के लिए भूमि मुहैया करना निकायों के लिए बहुत आसान हो जाएगा.
किसी भी शहर का मास्टर प्लान 15 से 25 साल तक की विकास की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाया जाता है. इस मास्टर प्लान में पार्क, ओपन स्पेस, खेल का मैदान, स्टेडियम, हरित क्षेत्र, सरकारी कार्यालय आदि जन सुविधाओं के लिए स्थान चिन्हित करते हुए उपयोग तय किए जाते हैं. लेकिन पिछले कई वर्षों का अनुभव यह बताता है कि इस प्रकार की जन सुविधाएं केवल कागजी ही साबित होती हैं. मौके पर संबंधित निकाय इन्हें विकसित नहीं कर पाते हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा और प्रमुख कारण यही होता है की जिन भूमि पर इन सुविधाओं के लिए उपयोग निर्धारित किया जाता है वह भूमि निजी स्वामित्व की होती है. भूमि मालिक मास्टर प्लान में इसके लिए लैंड यूज चेंज करा कर अपने मुताबिक अपनी जमीन का लैंड यूज़ चेंज करा लेता है. गुलाब कोठारी मामले में हाई कोर्ट की जोधपुर बेंच के 12 जनवरी 2017 के आदेश में इस प्रकार की सुविधाओं के लिए चिन्हित भूमि के लैंड यूज चेंज पर सख्त पाबंदी लगा दी गई. लेकिन इसके बाद भी दिक्कत यही कायम रही कि निजी भूमि जिसका भू उपयोग मास्टर प्लान में कोई जन सुविधा है तो उसके अधिग्रहण के लिए निकायों को खासी मशक्कत करनी पड़ेगी और अधिग्रहण के बदले मिलने वाले मुआवजे से भी भूमि मालिक अपनी जमीन देने के लिए खास उत्साहित नहीं रहते हैं. इसी समस्या के निराकरण के लिए प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार री एडजस्टमेंट ऑफ लैंड का नया कांसेप्ट लेकर आई है. इस बारे में टाउनशिप नीति में यह प्रावधान शामिल करना प्रस्तावित है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि इस नए प्रावधान के मुताबिक किस जन सुविधा के लिए जमीन देने पर जमीन मालिक को खुद के उपयोग के लिए कितनी जमीन मिलेगी और उसकी प्लानिंग किस तरह से की जाएगी
जमीन मालिकों के लिए यह नया प्रावधान यू है आकर्षक
– जमीन मालिकों को जो उनका हिस्सा मिलेगा उसमें उन्हें टाउनशिप नीति के तहत अलग से सुविधा क्षेत्र के लिए भूमि छोड़ना जरूरी नहीं होगा
-लेकिन इस जमीन में वे चाहेंगे तो आवश्यकता अनुसार सड़कें प्रस्तावित कर सकेंगे
-जमीन मालिकों को अपनी कृषि भूमि के अकृषि उपयोग के लिए भूमि रूपांतरण शुल्क नहीं देना होगा
-बाहरी विकास शुल्क भी नहीं देना होगा
-संबंधित विकासकर्ता चाहेगा तो उसने ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स की सुविधा मिल सकेगी
-अगर विकासकर्ता या जमीन मालिक स्कीम की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के मुताबिक निकाय को समर्पित करने वाली भूमि पर पार्क विकसित करता है अथवा फैसिलिटी एरिया के लिए कोई बिल्डिंग बनाता है
-साथ ही स्कीम एरिया में निर्धारित विकास कार्य पूरा करता है तो इन दोनों शर्तों के पूरा करने के बाद विकासकर्ता को उसको मिलने वाली भूमि की 20% तक की भूमि निकाय दे सकेंगे
रीएडजेस्टमेंट ऑफ लैंड के इस नए प्रावधान में वाटर बॉडी और राष्ट्रीय राजमार्ग की परिधि में प्रस्तावित ग्रीन बेल्ट शामिल नहीं की गई है इसका मतलब यह प्रावधान मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट के लिए प्रस्तावित भूमि पर लागू नहीं होगा. नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की ओर से इस प्रावधान को लागू करने के संबंध में हरी झंडी मिलने के बाद नगरीय विकास विभाग और स्वास्थ्य शासन विभाग ने इसका प्रारूप जारी कर दिया है प्रारूप जारी कर 15 दिन में लोगों से आपत्ति व सुझाव मांगे गए हैं.


