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इस गांव में सांड मरा तो उसकी स्मृति में स्थापित कर दी 32 क्विंटल वजनी प्रतिमा, पढ़े पूरी खबर

पूगल। निरीह पशुओं से प्रेम कर उनका संरक्षण हमारा दायित्व है। कुछ ऐसा ही संदेश देते पूगल के गांव हनुमाननगर में एक ऐसे सांड की प्रतिमा को गांव के चौक में स्थापित किया जो गांव के सभी निवासियों का प्रिय था। गांव के एड.काशीराम जाखड़ बताते है कि यह सांड किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता था। हर घर का प्रिय था। जब तक जीया तब एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि इसने कभी किसी को मारा हो या किसी भी खेत या फसल को नुकसान पहुंचाया हो। सुबह और शाम घरों के आगे खड़ा हो जाता वहां से जो रोटी मिलती खाकर गांव के चौक में आकर बैठ जाता। जन्म से लेकर मृत्यु तक यह सांड यही रहा। साल भर पहले जब मरा तो गांव वासियों ने सम्मान के साथ बैकुंठी यानी अंतिम यात्रा निकाली।
विधि-विधान के साथ उसको समाधि दी। अब सबने निर्णय लेकर उसकी समाधि पर ही उसकी स्मृति में एक चबूतरा बनवाकर वहां उसकी 32 क्विंटल वजनी प्रतिमा बनवाकर स्थापित की है। इस मौके पर तीन दिवसीय भागवत कथा, हवन आदि का आयोजन भी किया गया।
उड़ीसा के मूर्तिकार ने बनाई 7 फीट लंबी नंदी प्रतिमा
गांववासियों ने गौरी नाम के इस सांड के लगाव के चलते उसकी स्मृति को हमेशा कायम रखा जाए और नई पीढ़ी निरीह पशुओं से प्रेम कर उनका संरक्षण करे का संदेश देते हुए प्रतिमा बनवाने का निर्णय लिया। गांव के ही एड.काशीराम जाखड़ ने पहल की। अपने खर्चे पर खिंयेरा गांव स्थित वासुदेव गोशाला में आए उड़ीसा के मूर्तिकार से नंदी की प्रतिमा बनवाई।
करीब 32 क्विंटल वजनी, 7 फीट लंबी, 3 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार हुई। समाधि पर चबूतरा बनवाया गया। बाल संत भेले बाबा के सान्निध्य में गोशाला के संत शंकर दास महाराज व पंडित जगदीश महाराज के मार्गदर्शन में तीन दिवसीय नंदी प्रतिमा महोत्सव का आयोजन किया गया। इस दौरान भागवत कथा, मीरां चरित्र व भक्तमाल कथा हुई। महाप्रसादी का आयोजन किया गया। वहीं एक दिसंबर को विधि-विधान के साथ नंदी प्रतिमा की प्रतिष्ठा व हवन किया गया। इस मौके पर पूर्व संसदीय सचिव डा. विश्वनाथ मेघवाल, सवाईसिंह तंवर, मेघराज सोनी, प्रसन्न कुमार बुच्चा, पुरखाराम बूडिया, सरपंच भागीरथ चांवरिया, डूंगरराम सैन, हरिराम जाखड़ आदि मौजूद रहे।

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