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एक्सक्लूसिव: इस त्योहार में पुरूष घर-घर जाकर गाते है मुफ्त में गीत

बीकानेर. होली का पर्व समाप्त होने के बाद शहर में गणगौर पर्व की धूम छाने लगी है। गणगौर की बात आती है तो इसे महिलाओं का त्योहार कहा जाता है, लेकिन बीकानेर में रियासतकाल से महिलाओं के साथ पुरूष भी इस पर्व में अपनी भूमिका निभाते नजर आ रहे है। धूलंडी के दिन शाम को स्नान कर भगवान के दर्शन के गणगौर के गीत शुरू हो गए है। करीब एक माह तीन दिन तक शहर में गणगौर के गीतों गूंजने शुरू हो गए है। इन गणगौर के गीतों में महिलाओं के अलावा पुरूष भी सुबह से शाम तक गणगौर के गीत गाते है। मजे की बात है कि गणगौर के गीतों के लिए पुरूष घर-घर जाकर मुफ्त में गीत गाते है। हालांकि इसके लिए इन पुरूषों की ओर से पूरे दिन बुकिंग भी की जाती है जिसमें पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर इनकी बुकिंग होती है। पूरे दिन में ये लोग सुबह से शाम तक शहर के विभिन्न मोहल्लों में गणगौर के गीत गाते है। इन पुरूषों के साथ महिलाएं व बच्चे भी शामिल होते है। भैंरूरतन पुरोहित ने बताया कि गणगौर के गीतों का प्रचलन रियासतकाल से चल रही है। यह संस्कृति अब लुप्त होती जा रही है। इसके लिए प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। बच्चियां स्कूल व कॉलेज चले जाते है, तो पुरूष गीत गाने लगे है। हमारे बुजुर्गो गीत गाते थे इनको देखकर हमने भी गीत गाना शुरू कर दिया गया। विजयकुमार ओझा ने बताया कि इस बार बारहगुवाड़ चौक में सभी मोहल्लेवासी बैठकर मां गणगौर के गीत गाते है। गणगौर का पूजन होलिका दहन के बाद शुरू हो जाता है। मां गवरजा के वैदिक गीत गाए जाते है। धूलंडी के दिन स्नान कर भगवान के दर्शन कर गणगौर के गीत गाते है।

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