हिम्मत व हौसले की शक्ति : दुखों का पहाड़ टूटा, लंबे अंतराल बाद पढ़ाई शुरू कर बनीं मजिस्ट्रेट, जानिए संघर्ष की गाथा

हिम्मत व हौसले की शक्ति : दुखों का पहाड़ टूटा, लंबे अंतराल बाद पढ़ाई शुरू कर बनीं मजिस्ट्रेट, जानिए संघर्ष की गाथा

– आज पढि़ए ऐसी महिलाओं की सफलता, सरोकार व संघर्ष की कहानियां, जो समाज में बनी प्रेरणा

– हुमा कोहरी . मात-पिता का सपना पूरा किया, विकट परिस्थितियों में बनीं न्यायिक मजिस्ट्रेट
खुलासा न्यूज, बीकानेर। भोपालगढ़ की पहली न्यायिक मजिस्ट्रेट हैं हुमा कोहरी। यहां तक पहुंचने के दौरान उनको कई तरह की परिस्थितियों से संघर्ष करना पड़ा। 1993 में पिता फऱिोज खान कोहरी का सड़क हादसे में देहांत हो गया। इससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मगर, मां दिलशाद कोहरी ने बेटी को तालीम दिलाई। बेटी ने भी मां-बाप का सपना पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। 10वीं व 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की। ग्रेजुएशन में पढ़ाई के दौरान बीकानेर में उनकी शादी असद रजा भाटी से हुई। वे अधिवक्ता हैं। ससुराल में भी पढ़ाई का माहौल मिलने से हिम्मत बढ़ती गई। उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और एक दिन सफलता पाई।

एलएलबी में किया था टॉप
हुमा कोहरी ने बीकानेर में एलएलबी की और एलएलबी में पहला स्थान हासिल किया। ससुराल पक्ष से हमेशा अच्छा सहयोग रहा। लंबे अंतराल के बाद वर्ष 2016 में फिर पढ़ाई शुरू की। आज वे सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर है।

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