
अगर युवक-युवती ने शादी करने का फैसला किया है तो उनमें समाज का सामना करने का साहस भी हो : जोधपुर हाइकोर्ट






एक युवक युवती ने शादी कर ली और पुलिस सुरक्षा के लिए हाइकोर्ट पहुंचे तो कोर्ट ने सुरक्षा की ज़रूरत नहीं बताते हुए इनकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि अगर युवक युवती ने शादी करने का फैसला कर लिया है तो उनमें समाज का सामना करने का साहस और परिवार को उनके द्वारा लिए गए फैसले को समझाने की दृढ़ता होनी चाहिए। तथ्यों को देखकर नहीं लगता युवक- युवती का जीवन खतरे में है।
जोधपुर जिले के एक 18 साल की युवती और 21 साल के युवक ने शादी कर ली और सुरक्षा के लिए हाइकोर्ट में पिटीशन दायर की थी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में ऐसे कोई सबूत नही है जिससे ये लगे कि उन पर हमले की आशंका हो। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोर्ट किसी योग्य मामले में कपल को सुरक्षा उपलब्ध करा सकता है, लेकिन जो उन्होंने समर्थन मांगा वह उन्हें नहीं दे सकता है।
उन्हें एक-दूसरे का समर्थन करना और समाज का सामना करना सीखना होगा। जस्टिस दिनेश मेहता ने आदेश में यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति दंपती के साथ दुर्व्यवहार करता है तो कोर्ट्स और पुलिस उनके बचाव में आते हैं। लेकिन वे सुरक्षा का एक अधिकार के रूप में दावा नहीं कर सकते। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।


