
अब रिटायरमेंट के बाद भी सजा ने नहीं बच सकेंगे भ्रष्ट कार्मिक






जयपुर। नौकरी में रहते हुए दुराचरण,वित्तीय अनियमितता और घोर लापरवाही करने वाले कार्मिकों के खिलाफ विभागीय अफसरों की ढिलाई के कारण राज्य सरकार कार्रवाही नहीं कर पा रही है। क्योंकि इस तरह की अनुशासनिक कार्रवाही में फंसे सेवानिवृत कार्मिकों के प्रकरणों को नियोक्ता अधिकारी 4 वर्ष की तय समय सीमा निकल जाने के बाद राज्यपाल के पास कार्रवाई के लिए भिजवा रहे हैं। अफसरों की इस तरह की कार्यशैली को सरकार ने गंभीरता से लिया है। क्योंकि समय सीमा निकल जाने के बाद नियमानुसार इस तरह के प्रकरणों में सेवानिवृत कार्मिकों के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करने में परेशानी आ रही थी।मंगलवार को मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने सभी विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव,प्रमुख सचिव,सचिव और विभागाध्यक्षों को इस संबध में विस्तर आदेश जारी किए। जिसमें कहा गया है कि ऐसे अनुशासनिक प्रकरणों की लगातार मॉनिटरिंग की जाए और सेवानिवृति के बाद 4 वर्ष की समय सीमा समाप्त होने से 6 माह पहले ही सभी प्रक्रिया पूरी करते हुए नियोक्ता अधिकारी के द्वारा आरोप पत्र जारी किया जाए। जिससे सेवानिवृति के चार वर्ष बाद की समय सीमा के भीतर कार्मिक के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जा सके।मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सभी विभाग प्रत्येक तीन माह में विभाग में इस तरह के प्रकरणों की तारीख और और जिस अधिकारी के पास प्रस्ताव लंबित है उसकी जानकारी फार्मेट में भर कर कार्मिक विभाग को भेजनी होगी। क्योंकि अफसरों की ढिलाई के कारण राज्य सरकार की ओर से भेजे गए कई प्रस्ताव राज्यपाल सचिवालय ये समय सीमा निकल जाने के कारण वापस भेज दिए गए।


