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4 दिन बाद फिर से कड़ाके की ठंड पड़ेगी

जयपुर। राजस्थान में पिछले एक सप्ताह से पड़ रही कड़ाके की सर्दी ने ठिठुरा दिया है। जोबनेर, फतेहपुर, चूरू समेत कई जगह सर्दी ने पिछले 10 से लेकर 25 साल पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। कड़ाके की इस सर्दी से न केवल खेतों में खड़ी फसलों को पाला पड़ा, बल्कि मौसम विभाग की भविष्यवाणी को भी फेल साबित कर दिया।
मौसम विभाग ने एक दिसंबर को पूर्वानुमान जारी कर इस सीजन में दिसंबर, जनवरी, फरवरी में सर्दी औसत या उससे थोड़ी कम पडऩे की संभावना जताई थी, लेकिन इसके उलट इस बार ठंड इतनी प्रचंड हो गई कि चूरू, सीकर, माउंट आबू के अलावा चित्तौडग़ढ़, करौली, भीलवाड़ा जैसे शहरों में पारा माइनस में चला गया।
राजस्थान के फतेहपुर, चूरू समेत कुछ 6 जिलों में पारा माइनस में पहुंच गया था। जिसकी वजह से पेड़ों पर भी बर्फ जम गई थी।
जयपुर मौसम केन्द्र के डायरेक्टर राधेश्याम शर्मा के मुताबिक तेज सर्दी के पीछे सामान्य कारण उत्तर भारत में बर्फबारी के बाद वहां से चलने वाली बफीर्ली हवाओं को माना जाता है। हिमाचल, जम्मू-कश्मीर से जो शीतलहर आती है, उससे राजस्थान समेत भारत के दूसरे अन्य राज्यों में तापमान गिरता है। इस बार भी सर्द हवाएं चली, लेकिन कड़ाके की सर्दी और पारा माइनस में जाने के पीछे बड़ा कारण राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां, यहां का सोइल नेचर (मिट्‌टी की प्रकृति) और कम मॉइश्चर (नमी) है।
शर्मा ने बताया कि पंजाब, हरियाणा की तुलना में राजस्थान में मॉइश्चर बहुत कम है और ज्यादातर इलाके मैदानी और खुले है। इसके अलावा सोइल नेचर बहुत अलग है। यहां की जमीन जितनी जल्दी गर्म होती है, उतनी ही जल्दी ठण्डी होती है। इस कारण यहां जमीन स्तर पर तापमान माइनस में चला जाता है और बर्फ जम जाती है। अगर जमीन के आसपास मॉइश्चर अच्छा हो तो बर्फ जमने जैसी स्थिति बहुत कम रहे।

मॉइश्चर अच्छा होने के कारण ही कोहरा ज्यादा देखने को मिलता है। अमूमन उत्तरी राजस्थान के गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर बेल्ट में नमी बहुत ज्यादा रहती है, जिसके कारण वहां पूरे सर्दियों के मौसम में कोहरा देखने को मिलता है, लेकिन इस बार ऐसा देखने को नहीं मिला।

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