तकनीकी विभाग में भ्रष्टाचार,मंत्री मौन,60 संविदाकर्मी हो गये स्थाई

तकनीकी विभाग में भ्रष्टाचार,मंत्री मौन,60 संविदाकर्मी हो गये स्थाई

खुलासा न्यूज,बीकानेर। हमें अपनों ने लूटा गैरों में कहा दम था,कस्ती वहां जा डूबी जहां पानी का बहाव कम था…..। ये युक्ति राजस्थान तकनीकी शिक्षा विभाग पर सटीक बैठती है। जिसके अधिकारी व कर्मचारी अपनी ही जड़ों को खोखला करने में लगे है। मंजर यह है कि भ्रष्टाचार में सर्वोधिक शिकायतों के बाद भी न तो राज्य सरकार चेत रही है और न ही विभाग के आलाधिकारी। मजे की बात तो यह है कि राजस्थान तकनीकी शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते कई इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होने के कगार पर आ गये है। फिर भी अपने आपको संवेदनशील कहने वाली कांग्रेस सरकार के मुखिया और तकनीकी शिक्षा मंत्री इस भ्रष्टाचार को खत्म कर इसमें लिप्त बड़ी मछलियां पर कार्यवाही करने से कतरा रहे है। मामला बीकानेर तकनीकी महाविद्यालय का है। जहां बिना किसी आन्तरिक परीक्षा व साक्षात्कार के 60 संविदा पर लगे कर्मचारी स्थाई हो गये और उन्हें नियमित सरकारी कर्मचारियों की भांति परिलाभ भी मिलने लगे। हैरत की बात तो यह है कि इन सब बातों का तकनीकी शिक्षा विभाग को सब पता होने के बाद भी तकनीकी शिक्षा विभाग ने कभी कोई उचित कदम नहीं उठाया ना ही इन कर्मचारियों से रिकवरी की।
बीकानेर तकनीकी विवि का संघटक कॉलेज बना तकनीकी महाविद्यालय
गौर करने वाली बात तो यह है कि अब बीकानेर तकनीकी महाविद्यालय बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय का संघटक कॉलेज बन गया है और विश्वविद्यालय में सम्मिलित होने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग ने एक समिति बनाई है जो कि सभी कर्मचारियों के कागजातों की जांच करने के बाद कर्मचारियों को तकनीकी विश्वविद्यालय में सम्मिलित करेगी अभी तक इस समिति ने कोई भी कागजातों की जांच नहीं की है। उससे पहले ही तकनीकी शिक्षा विभाग ने महाविद्यालय के संविदा कर्मचारियों को केस का बेनिफिट देने के लिए राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है।जो कि इन कर्मचारियों को सीएएस का बेनिफिट दे रही है,जबकि अब महाविद्यालय के कर्मचारी बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के अधीन आते हैं और तकनीकी शिक्षा विभाग की बीओजी भी भंग हो गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि किस अधिकार से तकनीकी शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव ने महाविद्यालय के कर्मचारियों को सीएएस का फायदा दिलवाने के लिए समिति बनाई है। जो कही न कही तकनीकी शिक्षा विभाग ने भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है।
फिर हुई शिकायत
इसको लेकर मुक्ता प्रसाद नगर के राजूराम चौधरी ने राजस्थान तकनीकी विवि के कुलपति को ज्ञापन भेजकर भ्रष्टाचार में लिप्ट कार्मिकों पर कार्यवाही करने व संविदा और फर्जी तरीके से लगे व्याख्याताओं को सीएएस का लाभ नहीं देने की मांग की है।

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