तो क्या बीकानेर में बन रही है हाईब्रिड फार्मूले की स्थिति !

तो क्या बीकानेर में बन रही है हाईब्रिड फार्मूले की स्थिति !

बीकानेर। आगामी 16 नवम्बर को होने जा रहे निकाय चुनाव को लेकर बीकानेर में टिकट वितरण दोनों ही दलों के लिये सिरदर्द बनता जा रहा है। मंजर ये है कि जयपुर में जहां भाजपा की बैठक के बाद मंडल अध्यक्ष व महिला मोर्चा के पदाधिकारियों ने इस्तीफे देने की नौबत आ गई। वहीं कांग्रेस में भी विद्रोह के हालात बनने शुरू हो गये है। बताया जा रहा है कि भाजपा में वार्ड 8,34,37,46,50 64,65,79 में विवाद बना हुआ है। तो कुछ वार्डों में बाहरी प्रत्याशी को लेकर कार्यकर्ताओं में रोष है। तो कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर अपने चेहतों व रिश्तेदारों को टिकट की जुगत के चलते अन्र्तकलह के हालात बन गए है। ऐसे में दोनों ही दलों में भीतरघात और अपनों से पार्टी प्रत्याशी को झुझने की स्थिति बनती नजर आ रही है। राजनीतिक जानकारों की माने तो ज्यादातर वार्डों में निर्दलिय और सनम के प्रत्याशी समीकरण बदल सकते है। ऐसे में अगर जोड़तोड की स्थिति बनती है तो प्रबल दावेदार नहीं होने पर दोनों ही पार्टियां हाईब्रिड फार्मूले को अपनाने से परहेज नहीं करेगी। टिकट वितरण से पहले भाजपा-कांग्रेस में उपजे विवाद के कारण आज के हालात तो इस फार्मूल की ओर ही इशारा कर रहे है।

सोची समझी रणनीति का हिस्सा
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दोनों ही राजनीतिक पार्टियों ने हाईब्रिड फार्मूले को अपनाने की रणनीति के तहत अपने निष्ठावान और वफादार कार्यकर्ताओं को आवेदन ही नहीं करवाया। ताकि समय आने पर इनको इस फार्मूले से महापौर बनाया जा सके। सोचने वाली बात तो यह है कि कल तक महापौर के लिये प्रबल दावेदार वाली जैसी नेत्रियों ने आवेदक तक नहीं किया। ये सोचने को मजबूर करता है कि आखिर पार्टी ने इन्हें क्या संकेत दिया है।

इनको माना जा रहा है प्रबल दावेदार
टिकट वितरण से पूर्व जिस तरह के हालात बने है। उसको देखकर लगता है कि दोनों ही राजनीतिक दलों को अपनों से दो दो हाथ करने पड़ेगे और महापौर बनने की चांबी निर्दलियों व सनम के हाथ होगी। ऐसी परिस्थितियों में अगर भाजपा अपना महापौर बनाना चाहेगी तो महामंत्री मोहन सुराणा की पत्नी मधु सुराणा पर पार्टी ये दाव खेल सकती है। यदि ये हालात कांग्रेस के बनते है तो सुनीता गौड क ी दावेदारी प्रबल हो सकती है।

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